Haryana

ग्वार फसल में जीवांणु अंगमारी (फंगस रोग) ज्यादा नुकसानदायक : डॉ. बीडी यादव

किसानों को जानकारी देते कृषि विशेषज्ञ।

-बांडाहेडी में ग्वार फसल पर स्वास्थ्य प्रशिक्षण शिविर का आयोजन

हिसार, 23 अगस्त (Udaipur Kiran) । हरियाणा के हिसार जिले में बारिश के बाद ग्वार फसल में जीवांणु अंगमारी, काली डंडी, हरा तेला और सफेद मक्खी जैसे रोगों का प्रकोप बढ़ रहा है। इसे देखते हुए कृषि विभाग के तत्वावधान में हकृवि में 28 वर्ष तक रहे ग्वार वैज्ञानिक

व हिन्दुस्तान गम व कैमिकल्स भिवानी के ग्वार विशेषज्ञ डॉ. बीडी यादव की ओर से शनिवार काे ग्वार

की फसल पर स्वास्थ्य प्रशिक्षण शिविर लगाया गया। गांव बांडाहेड़ी में ब्लॉक स्तर कपास

व ग्वार फसल पर यह शिविर आयोजित किया गया।

शिविर में खंड कृषि अधिकारी डॉ. राजेन्द्र श्योराण

मुख्य अतिथि थे जबकि अध्यक्षता कृषि विकास अधिकारी डॉ. मांगेराम ने की। इसके अलावा

डॉ. शलेंद्र व डॉ. अजीत सिंह मौजूद थे। शिविर का मुख्य उदेश्य किसानों को बीटी नरमा

में लगने वाले कीटों व बीमारियों के बारें में बताना था। सेवानिवृत उपमण्डल कृषि अधिकारी

डॉ. ब्रिजलाल बैनिवाल ने इसके समाधान के बारे में किसानों को बताया। कृषि विकास अधिकारी

डॉ. मांगेराम ने कृषि विभाग द्वारा चलाई जा रही लाभकारी स्कीमों की जानकारी दी तथा

प्राकृतिक खेती अपनाने पर विशेष जोर दिया।

ग्वार विशेषज्ञ डॉ. बीडी यादव ने ग्वार की मुख्य बीमारी के लक्षण व उनकी रोकथाम

के बारें में चार्ट के माध्यम से जानकारी दी। किसानों से रूबरू होते हुए उन्हाेंने कहा कि ग्वार फसल में बीमारियों का प्रकोप करीबन 25-30 प्रतिशत आने के बाद ही किसान

स्प्रे करते हैं उस समय तक पैदावार में काफी नुकसान हो चुका होता है। इससे लगता है

कि इस क्षेत्र के किसानों को ग्वार बीमारियों के लक्षण तथा उनकी रोकथाम की सही जानकारी

अभी तक पूरी नहीं है। किसानों को सलाह दी कि कृषि वैज्ञानिक या कृषि अधिकारी की सलाह

के बैगर कोई दवाई का इस्तेमाल न करें।

डॉ. बीडी यादव ने कहा कि जीवाणु अंगमारी रोग

की शुरूआत में किनारी से पत्ते पीले होना तथा बाद में पत्तों का धीरे-धीरे काला होना

यह पहचान है और यह बीमारी की अवस्था पैदावार को कम करने में सबसे ज्यादा नुकसानदायक

है। जीवाणु अंगमारी व काली डंडी की शुरूआती अवस्था की रोकथाम के लिए 30 ग्राम स्ट्रैप्टोसाईक्लिन

व 400 ग्राम कॉपर ऑक्सीक्लोराईड को 200 लीटर पानी में मिलाकर प्रति एकड़ छिड़काव करें।

अगर इन बीमारियों के साथ हरा तेला व सफेद कीड़ों का प्रकोप हो तो उसी अवस्था में इसकी

रोकथाम के लिए स्प्रे करें। इसका पहला छिड़काव बिजाई के 40-45 दिन पर तथा अगला स्प्रे

इसके 12-15 दिन अन्तराल पर करें। इस अवसर पर शिविर में मौजूद 130 किसानों को मास्क

भी दिए गये। कृषि पर्यवेक्षक सतबीर सिंह ने विशेष योगदान दिया । इस अवसर पर ईश्वर सिंह, हवासिंह,

राजकुमार नेहरा, राजेश, देवेन्द्र सिंह आदि किसान मौजूद थे।

(Udaipur Kiran) / राजेश्वर

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