
धर्मशाला, 27 सितंबर (Udaipur Kiran News) । यदि दुनिया पंडित दीनदयाल उपाध्याय के विचारों पर चले, तो विश्व में युद्ध, हिंसा और अत्याचार जैसी नकारात्मक प्रवृत्तियां समाप्त हो सकती हैं। यह विचार जाने-माने समाजसेवी एवं भारतीय इतिहास संकलन योजना के राष्ट्रीय संगठन सचिव डॉ. बालमुकुंद पांडेय ने हिमाचल प्रदेश केंद्रीय विश्वविद्यालय धर्मशाला में आयोजित ऑनलाइन व्याख्यान माला के समापन अवसर पर व्यक्त किए।
पंडित दीनदयाल उपाध्याय की जन्म जयंती (25 सितंबर) के उपलक्ष्य में दीनदयाल उपाध्याय अध्ययन केंद्र द्वारा 19 से 24 सितंबर तक यह व्याख्यान श्रृंखला आयोजित की गई। इसका आयोजन विश्वविद्यालय के कुलगुरु प्रो. सत प्रकाश बंसल के मार्गदर्शन में किया गया।
डॉ. पांडेय ने अपने उद्बोधन में कहा कि पंडित दीनदयाल उपाध्याय के विचार कालजयी हैं और वे न केवल भारत, बल्कि पूरी मानवता के लिए उपयोगी हैं। उन्होंने शोधकर्ताओं और शिक्षकों से आह्वान किया कि वे एकात्म मानव दर्शन, अंत्योदय, चिति, स्व, विराट जैसे उनके वैचारिक आयामों को शोध के माध्यम से व्यावहारिक रूप दें, जिससे इन विचारों को धरातल पर उतारकर राष्ट्रीय और वैश्विक समस्याओं का समाधान किया जा सके।
समारोह की अध्यक्षता कुलपति प्रो. सत प्रकाश बंसल ने की। उन्होंने पंडित दीनदयाल उपाध्याय के जीवन, उनके योगदान और विचारों की प्रासंगिकता पर प्रकाश डालते हुए कहा कि उनका व्यक्तित्व और चिंतन आज भी समाधानकारी दृष्टिकोण प्रदान करता है।
इस अवसर पर रूपी सिराज कला विकास मंच द्वारा प्रो. बंसल को उनकी शैक्षणिक एवं प्रशासनिक उपलब्धियों के लिए लाइफटाइम अचीवमेंट सम्मान – 2025 से सम्मानित किया गया।
छह दिवसीय ऑनलाइन व्याख्यान माला में देश के विभिन्न विश्वविद्यालयों और संस्थानों से 500 से अधिक प्रतिभागियों ने भाग लिया। प्रत्येक दिन विषय विशेषज्ञों ने पंडित दीनदयाल उपाध्याय के विचारों की विभिन्न धाराओं पर संवाद स्थापित किया। प्रो. सूर्य प्रसाद दीक्षित (लखनऊ विश्वविद्यालय) ने सकारात्मक विमर्श निर्माण में नव मीडिया की भूमिका पर प्रकाश डाला। प्रो. बृज किशोर कुठियाला (पूर्व कुलपति, माखनलाल चतुर्वेदी पत्रकारिता विश्वविद्यालय) ने पूर्ण विकसित भारत निर्माण में स्व व चिति की भूमिका पर अपने विचार रखे। प्रो. आद्या भारतीय सक्सेना (सयाजीराव विश्वविद्यालय, बड़ौदा)ने वर्तमान संदर्भ में पंडित दीनदयाल उपाध्याय का जीवन संदेश व प्रो. जगमीत बाबा (पंजाब केंद्रीय विश्वविद्यालय) आधुनिक समय में पंडित दीनदयाल उपाध्याय के राजनीतिक विचारों की प्रासंगिकता पर अपने विचार रखे। जबिक डॉ. अमरेंद्र आर्य (दिल्ली विश्वविद्यालय) ने भारत की मुख्यधारा की पत्रकारिता व दीनदयाल उपाध्याय के पत्रकारीय मूल्य व प्रो. जयसिंह (बीएचयू) वर्तमान में एकात्म मानव दर्शन की वैश्विक प्रासंगिकता पर प्रकाश डाला।
समापन कार्यक्रम में डॉ. उदय भान सिंह द्वारा संपादित पुस्तक महान दार्शनिक दीनदयाल उपाध्याय का एकात्म मानव दर्शन – आर्थिक लोकतंत्र, सतत एवं समग्र विकास का पथ का लोकार्पण भी किया गया।
कार्यक्रम में प्रो. इंद्र सिंह ठाकुर (निदेशक, अध्ययन केंद्र), प्रो. प्रदीप कुमार (अधिष्ठाता, शैक्षणिक), प्रो. नरेंद्र संख्यान (कुल सचिव), डॉ. जितेंद्र गर्ग (परीक्षा नियंत्रक), डॉ. प्रतिमा पठानिया (वित्त अधिकारी), प्रो. सुनील कुमार (छात्र कल्याण), प्रो. मोहिंदर सिंह, प्रो. संदीप कुलश्रेष्ठ, प्रो. योगेंद्र धामा, प्रो. बृहस्पति मिश्र, प्रो. मनोज सक्सेना, प्रो. दीपांकर शर्मा, डॉ. संजय कुमार, डॉ. सुनीता, डॉ. चंद्रशेखर, करतार सिंह सहित विभिन्न विभागों के अध्यक्ष, प्राध्यापक, शोधार्थी एवं सामाजिक संगठनों के प्रतिनिधि उपस्थित रहे।
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(Udaipur Kiran) शुक्ला
