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शेयर बाजार में घरेलू संस्थागत निवेशकों ने लगातार दूसरे साल की 5 लाख करोड़ से अधिक की खरीदारी

घरेलू संस्थागत निवेशकों ने लगातार दूसरे साल की 5 लाख करोड़ से अधिक की खरीदारी

नई दिल्ली, 01 सितंबर (Udaipur Kiran) । साल 2025 के पहले आठ महीने के दौरान घरेलू संस्थागत निवेशकों (डीआईआई) ने 5 लाख करोड़ रुपये से अधिक की खरीदारी करके घरेलू शेयर बाजार को काफी सहारा दिया है। इसके पहले 2024 में घरेलू संस्थागत निवेशकों ने भारतीय शेयर बाजार में 5.25 लाख करोड़ रुपये की खरीदारी की थी। अभी 2025 के चार महीने बाकी हैं। ऐसे में घरेलू संस्थागत निवेशकों की खरीदारी का आंकड़ा इस साल के अंत तक काफी ऊपर जा सकता है।

भारतीय शेयर बाजार लंबे समय से दबाव में कारोबार कर रहा है। वैश्विक अर्थव्यवस्था में हो रही उठापटक और भारत पर अमेरिकी टैरिफ लादे जाने की वजह से घरेलू शेयर बाजार का सेंटिमेंट लगातार बिगड़ा है। इस वजह से विदेशी निवेशक लगातार बिकवाली करके अपने पैसे की निकासी करने में लगे हुए हैं। ऐसी प्रतिकूल परिस्थितियों में घरेलू संस्थागत निवेशकों (डीआईआई) ने जमकर खरीदारी करके शेयर बाजार को अपनी ओर से पूरा सहारा देने का काम किया है।

एनएसई के शुरुआती आंकड़ों से पता चलता है कि म्यूचुअल फंड्स, बैंक, बीमा कंपनियों और अन्य घरेलू संस्थानों ने 2025 में अगस्त के महीने तक कुल 5.13 लाख करोड़ रुपये के इक्विटी शेयर खरीदे हैं, जबकि 2024 में ये आंकड़ा 5.25 लाख करोड़ रुपये का था। 2023 में ये आंकड़ा 1.81 लाख करोड़ रुपये था। इसी तरह 2022 में घरेलू संस्थागत निवेशकों की तरफ से 2.76 लाख करोड़ रुपये की खरीदारी हुई थी। आंकड़ों के अनुसार शेयर बाजार में घरेलू खरीद में आया ये उछाल विदेशी संस्थागत निवेशकों (एफआईआई) की लगातार बिकवाली के बीच आया है। विदेशी संस्थागत निवेशकों ने 2024 में शेयर बाजार में बिकवाली करके लगभग 1.21 लाख करोड़ रुपये की निकासी की थी। विदेशी निवेशकों की बिकवाली का ये ट्रेंड 2025 में भी जारी है। इस साल विदेशी निवेशक घरेलू शेयर बाजार से 1.30 लाख करोड़ रुपये की निकासी कर चुके हैं।

धामी सिक्योरिटीज के वाइस प्रेसिडेंट प्रशांत धामी के अनुसार 2025 में जब विदेशी निवेशक भारतीय शेयर बाजार में लगातार बिकवाली करके अपने पैसे की निकासी कर रहे हैं, तब घरेलू शेयर बाजार को घरेलू संस्थागत निवेशकों ने भरपूर सहारा दिया है। लगातार दूसरे साल पांच लाख करोड़ रुपये से अधिक की खरीदारी करके घरेलू संस्थागत निवेशकों ने इस बात को स्पष्ट कर दिया है कि शेयर बाजार अब विदेशी निवेशकों की दया पर निर्भर नहीं रह गया है, बल्कि बाजार पर काफी हद तक घरेलू निवेशकों की पकड़ बन चुकी है।

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(Udaipur Kiran) / योगिता पाठक

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