
कोलकाता, 28 अक्टूबर (हि.क.)। पश्चिम बंगाल में मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) अभियान के तहत लगभग दो करोड़ मौजूदा मतदाताओं को अपने नाम मतदाता सूची में बनाए रखने के लिए चुनाव आयोग द्वारा निर्दिष्ट किसी एक दस्तावेज को जमा करना होगा। यह बात राज्य के मुख्य निर्वाचन अधिकारी (सीईओ) कार्यालय की ओर से कहा जा रहा है।
दरअसल, इन मतदाताओं के नाम वर्ष 2002 की उस मतदाता सूची में शामिल नहीं थे, जब राज्य में पिछली बार विशेष गहन पुनरीक्षण प्रक्रिया संपन्न हुई थी।
मुख्य निर्वाचन अधिकारी कार्यालय के अनुसार, मतदाता सूची का “मैपिंग और मैचिंग” कार्य राज्य के सभी जिलों में पूरा हो चुका है, सिवाय उत्तर बंगाल के दार्जिलिंग और जलपाईगुड़ी जिलों के। हाल में वहां आई भीषण बाढ़ और भूस्खलन के कारण उक्त दोनों जिलों में यह प्रक्रिया बाधित रही।
सीईओ कार्यालय ने बताया कि जिन जिलों में “मैपिंग और मैचिंग” का कार्य पूरा हो चुका है, वहां से प्राप्त आंकड़ों और शेष दो जिलों के अनुमानित आंकड़ों के आधार पर यह निष्कर्ष निकाला गया है कि लगभग दो करोड़ मतदाताओं को अपने नाम बनाए रखने के लिए चुनाव आयोग द्वारा निर्धारित दस्तावेजाें में से किसी एक को जमा करना होगा।
सूत्रों के अनुसार, जिन मतदाताओं को दस्तावेज जमा करने होंगे उनमें अधिकांश वे हैं जो बांग्लादेश से सटी अंतरराष्ट्रीय सीमावर्ती जिलों में रहते हैं।
एसआईआर प्रोटोकॉल के तहत जिन मतदाताओं के नाम वर्ष 2002 की सूची में पहले से हैं, उन्हें कोई दस्तावेज देने की आवश्यकता नहीं होगी, क्योंकि उनके नाम स्वतः ही नई मतदाता सूची में दर्ज हो जाएंगे।
हालांकि, जिनके नाम उस सूची में नहीं हैं, उन्हें आयोग द्वारा निर्दिष्ट दस्तावेजाें में से किसी एक को प्रस्तुत करना अनिवार्य होगा।
गौरतलब है कि, आधार कार्ड को ऐसे दस्तावेजाें की सूची में शामिल किया गया है, लेकिन चुनाव आयोग ने स्पष्ट किया है कि केवल आधार कार्ड पर्याप्त नहीं होगा। संबंधित मतदाता को नागरिकता सिद्ध करने के लिए आयोग द्वारा निर्दिष्ट 11 अन्य दस्तावेज़ों में से किसी एक को भी प्रस्तुत करना होगा। ——————–
(Udaipur Kiran) / ओम पराशर