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हिमेटाेलाॅजी और बोन मैरो ट्रांसप्लांट राष्ट्रीय कांक्लेव में डॉक्टर्स ने सीखीं जांच की नई तकनीकें

हिमेटाेलाॅजी और बोन मैरो ट्रांसप्लांट राष्ट्रीय कांक्लेव में डॉक्टर्स ने सीखीं जांच की नई तकनीकें

बीकानेर, 16 नवंबर (Udaipur Kiran) । दो दिवसीय हिमेटाेलाॅजी और बोन मैरो ट्रांसप्लांट (एचबी) राष्ट्रीय कांक्लेव के दूसरे दिन डॉक्टरों ने जांच प्रक्रिया को और बेहतर बनाने के गुर सीखे।कार्यक्रम के आयोजक सचिव डॉ. पंकज टांटिया ने बताया कि प्रशिक्षण सत्र में करीब 135 स्लाइड्स दिखाई गईं, जिन पर जयपुर से आईं डॉ. शशि बंसल ने विस्तृत लेक्चर दिया। उन्होंने डॉक्टरों को सिखाया कि जांच में आमतौर पर छूट जाने वाली कमियों को कैसे पहचाना जाए और नई तकनीकों से मरीजों को जल्दी, सटीक रिपोर्ट कैसे दी जा सकती है। इससे रिपोर्टिंग की गुणवत्ता और समयबद्धता में सुधार होगा। डॉ. शशि बंसल ने इस वर्कशॉप को मॉडरेट किया।एसोसिएट प्रोफेसर, पैथोलॉजी विभाग डॉ. रीतिका अग्रवाल और डॉ. ओपी सिंह सीनियर फैकल्टी, पैथोलॉजी विभाग ने. बोन मैरो की जांच को दर्दरहित और सटीक बनाने पर, ताकि मरीजों को बार-बार सैंपलिंग की परेशानी न हो। नई दिल्ली से आईं डॉ. अंकिता जैसवाल और डॉ. आयुषी श्रीवास्तव ने रेजिडेंट डॉक्टरों और अन्य चिकित्सकों को प्रशिक्षित किया। पीआईसीसी लाइन इंसर्शन एनेस्थीसिया विभाग ने ऑपरेशन थिएटर में यह वर्कशॉप आयोजित की। डॉ. कांता भाटी के नेतृत्व में डॉ. किवी व्यास ने ब्लड कैंसर मरीजों के लिए आवश्यक पीआईसीसी लाइन की तकनीक सिखाई। इससे बार-बार कैनुलेशन की जरूरत नहीं पड़ती, दर्द कम होता है। उल्लेखनीय है कि यह लाइन पीबीएम अस्पताल में नि:शुल्क उपलब्ध है। वर्कशॉप में लाइन डालने और उसकी देखभाल पर जोर दिया गया। शोध पत्र प्रस्तुति और जजिंग सुबह के सत्र में भाग लेने वाले डॉक्टरों ने अपने शोध पत्र पढ़े जिसमे जजिंग की जिम्मेदारी डॉ. निधि बिन्नानी, डॉ. सुनीता खिलेरी, डॉ. नीलिमा अरोड़ा और डॉ. पवन डारा ने संभाली। कार्यक्रम में सह सचिव डॉ. रीतिका अग्रवाल और डॉ. आयुषी श्रीवास्तव के साथ प्रबंधन टीम में विनय थानवी, रहमत अली, गर्वित गुप्ता, ओमप्रकाश मेघवाल, मोहित तथा योगेश खत्री आदि का विशेष योगदान रहा।

(Udaipur Kiran) / राजीव