
बिलासपुर, 30 जून (Udaipur Kiran) । प्रदेश के एकमात्र मानसिक चिकित्सालय सेंदरी की अव्यवस्थाओं को लेकर दायर जनहित याचिका पर 30 जून को सुनवाई हुई। छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट के निगरानी के बावजूद भी व्यवस्थाएं सुधार न होने पर चीफ जस्टिस रमेश कुमार सिन्हा मैं नाराजगी जताई है। उन्होंने का ये सही नहीं है। इस दौरान राज्य सरकार से कड़ी जवाबदेही मांगी है। कोर्ट ने स्वास्थ्य विभाग के सचिव को निर्देश दिया है अगली सुनवाई में जवाब पेश करें।
मानसिक स्वास्थ्य अधिनियम के तहत निर्धारित प्रावधानों और सुविधाओं का अभाव होने पर छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट लीगल सर्विस कमेटी और विशाल कोहली ने अपने अधिवक्ता के माध्यम से जनहित याचिका दायर की गई थी। जिसपर सुनवाई लगातार चल रही है। पिछली सुनवाईयों में मुख्य सचिव ने व्यक्तिगत शपथ पत्र में यह बात लिखी थी कि उनके निर्देश पर आयुक्त सह निदेशक स्वास्थ्य सेवाएं, छत्तीसगढ़ सरकार ने राज्य नोडल अधिकारी (एनएमएचपी) के साथ 01 अप्रैल 2025 को मानसिक अस्पताल सेंदरी का दौरा किया और निरीक्षण किया। वहीं रिपोर्ट पेश किया। इसके अलावा सचिव स्वास्थ्य और परिवार कल्याण, छत्तीसगढ़ शासन ने स्वयं 08 अप्रैल को मानसिक स्वास्थ्य चिकित्सालय सेंदरी का भ्रमण कर निरीक्षण किया गया। कमियों को दूर करने एवं सुधारात्मक उपाय करने के निर्देश दिए गए। राज्य मानसिक चिकित्सालय सेंदरी के अधीक्षक ने 17 अप्रैल को उपरोक्त प्रकाशित समाचार पत्र के संदर्भ में बिन्दुवार जवाब पत्र जारी किया था तथा कहा था कि प्रकाशित समाचार निराधार है तथा उपलब्ध स्टाफ ड्यूटी रोस्टर एवं निर्धारित ड्यूटी के अनुसार कार्य कर रहा है तथा मरीजों को सुरक्षा स्टाफ द्वारा पर्याप्त सुरक्षा प्रदान की जा रही है तथा अस्पताल में फार्मासिस्ट की कोई कमी नहीं है।
लेकिन सोमवार को हुई इस जनहित याचिका की सुनवाई के दौरान कोर्ट कमिश्नर ऋषि राहुल सोनी ने बताया है कि उन्होंने कोर्ट के निर्देश पर 4 जून से लेकर 6 जून तक अस्पताल का निरीक्षण किया। स्टाफ से लेकर सभी व्यवस्थाओं पर गंभीरता से जांच की। वहीं अपना एक मत दिया कि अस्पताल की स्थिति ठीक नहीं है, अस्पताल में फिलहाल डॉक्टर उपलब्ध कराए गए हैं। हालांकि वह शासकीय सेटअप के हिसाब से कम हैं। हालांकि महाधिवक्ता ने कोर्ट को बताया कि इसको लेकर के शासन गंभीर है और नियुक्ति के लिए विज्ञापन जारी किए गए हैं। कोर्ट कमिश्नर ने सुनाई के दौरान बताया डॉक्टर और स्टाफ एक से डेढ़ घंटे अस्पताल में रहते हैं, जबकि उन्हें सुबह 8:00 से 2:00 बजे तक रहना चाहिए। इस बात की तस्दीक उपस्तिथि पंजी और CCTV फुटेज से होती है। उन्होंने बताया कि वाटर कूलर सही नहीं है साथ ही हाइजीन कभी ध्यान नहीं रखा जाता है। जिस पर कोर्ट ने कड़ी नाराजगी जताई है। वहीं अगली सुनवाई 16 जुलाई 2025 को तय की है और सचिव स्वास्थ्य से जवाब मांगा है।
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(Udaipur Kiran) / Upendra Tripathi
