

जयपुर, 14 सितंबर (Udaipur Kiran) । उप मुख्यमंत्री डॉ. प्रेमचंद बैरवा ने कहा कि हिंदी संवाद की भाषा ही नहीं बल्कि भारतीयता का गौरव और हमारी सांस्कृतिक धरोहर है। भारतीय सभ्यता, संस्कृति और संस्कारों की अविरल धारा को जीवंत एवं सुरक्षित रखने में हिंदी की महत्वपूर्ण भूमिका रही है। उन्होंने कहा कि हिंदी बोलने में संकोच नहीं बल्कि गर्व का अनुभव करना चाहिए।
उपमुख्यमंत्री डॉ. प्रेमचंद बैरवा रविवार को एसएमएस चिकित्सा महाविद्यालय के सभागार में आयोजित राज्य स्तरीय हिंदी दिवस समारोह में बतौर मुख्य अतिथि संबोधित कर रहे थे। इस दौरान उन्होंने सभी से हिंदी के वैश्विक विकास और पहचान के लिए अपने जीवन के प्रत्येक कार्य, व्यवहार और प्रशासनिक गतिविधियों में हिंदी का अधिक से अधिक प्रयोग करने का आह्वान किया। उन्होंने कहा कि आधुनिक युग में तकनीक और डिजिटल माध्यमों का उपयोग कर हिंदी को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर और भी सशक्त बनाया जा सकता है।
उपमुख्यमंत्री डॉ. बैरवा ने कहा कि बाबासाहेब डॉ. भीमराव अंबेडकर भी हिंदी को राष्ट्र की एकता और संपर्क की भाषा के रूप में मानते थे। उनका विचार था कि भारत जैसे विशाल और विविधतापूर्ण देश में एक ऐसी भाषा होनी चाहिए जो सबको जोड़कर राष्ट्रीय एकता को मजबूत करे। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी वैश्विक मंचों पर अधिकतर हिंदी भाषा में ही अपने भाषण देते है, जिससे अन्य देशों में भी हिंदी बोलने का प्रचलन बढ़ा है और हिंदी को विश्व में अलग पहचान मिली है।
समारोह के मुख्य वक्ता यूनिवर्सल एम्बेसडर आइकैन डॉ बालेन्दु शर्मा दाधीच ने हिंदी के प्रचार-प्रसार में कृत्रिम बुद्धिमत्ता अर्थात आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) का उपयोग और उसकी उपयोगिता पर विस्तृत चर्चा की। उन्होंने कहा कि आज के डिजिटल युग में हमारी मातृभाषा हिंदी को हमें तकनीक से जोड़ना अनिवार्य है। इसमें आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस एक महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है। उन्होंने कहा कि एआई आधारित अनुवाद उपकरण अब हिंदी को अन्य भाषाओं में और अन्य भाषाओं को हिंदी में तुरंत अनुवाद करने में सक्षम है। स्पीच टू टेक्स्ट और टेक्स्ट टू स्पीच तकनीक से हिंदी में बोलकर लिखना और लिखकर सुनाना बेहद आसान हो गया है।
डॉ. शर्मा ने बताया कि चैटबॉट्स और वर्चुअल असिस्टेंट्स अब हिंदी में संवाद कर पा रहे हैं, जिससे आमजन के लिए हिंदी में नई तकनीक का उपयोग करना सुलभ हुआ है। उन्होंने एआई से हिंदी को भारत के साथ विश्व पटल पर भी एक सशक्त भाषा बनाने पर जोर दिया। सोशल मीडिया, ई-लर्निंग प्लेटफॉर्म और सरकारी सेवाओं में हिंदी को बढ़ावा देने में एआई बड़ी भूमिका निभा सकता है।
कार्मिक विभाग के शासन सचिव के. के पाठक ने भी हिंदी भाषा की साहित्यिक एवं समृद्ध संस्कृति पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा हिन्दी के विकास में स्वदेशी और वैज्ञानिक चिंतन आवश्यक है हिंदी की संस्कृति इतनी विराट रही है कि किसी एक विधा में इसे समेटा नहीं जा सकता।
स्कूल शिक्षा, भाषा एवं पुस्तकालय विभाग के शासन सचिव कृष्ण कुणाल ने कहा कि राज्य सरकार द्वारा हिंदी भाषा के प्रचार, उपयोग और सुविधाओं के विस्तार के लिए गंभीरता से कदम उठाये जा रहे हैं। उन्होंने बताया कि विभाग द्वारा मंडल, जिला एवं पंचायत समिति स्तर के कुल 264 पुस्तकालयों के नवीन भवनों का निर्माण करवाया जा चुका है। राज्य के दस सार्वजनिक पुस्तकालयों में दृष्टिबाधित पाठकों के लिए ब्रेल बुक्स, डेजी बुक्स व कम्प्यूटर सॉफ्टवेयर उपलब्ध करवा कर विशेष अध्ययन कक्ष की सुविधा उपलब्ध करायी गयी है।
शासन सचिव ने बताया कि 33 जिला मुख्यालयों पर प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी करने वाले छात्र-छात्राओं के विशेष अध्ययन के लिए सावित्री बाई फुले वाचनालय स्थापित कर वहां पर्याप्त मात्रा में प्रतियोगी साहित्य उपलब्ध कराया गया है। इसी योजना को विस्तारित करते हुए प्रथम चरण में 100 पंचायत समिति मुख्यालयों पर भी सावित्री बाई फुले वाचनालय शुरू किये गये हैं। सार्वजनिक पुस्तकालयों में उपलब्ध पुस्तकों के डिजिटलीकरण की सुविधा हेतु विभाग द्वारा पुस्तकालयों में उपलब्ध कुल 22 लाख 64 हजार 353 में से 13 लाख 98 हजार 668 पुस्तकों की कम्प्यूटर में डाटा एन्ट्री का कार्य किया जा चुका है।
इससे पूर्व उपमुख्यमंत्री डॉ. प्रेमचंद बैरवा ने हिन्दी साहित्य (कथा) में डॉ. कृष्ण कुमार कुमावत को उनके उपन्यास ‘लक्ष्य’, हिन्दी साहित्य (कथेतर) में डॉ. मूलचन्द बोहरा को उनके शैक्षिक निबन्ध संग्रह ‘समझ गए ना!’, संविधान एवं विधि में डॉ. अनुपम चतुर्वेदी एवं डॉ. दीप्ति चतुर्वेदी को संयुक्त रूप से उनकी पुस्तक ‘भारतीय राजनीतिक व्यवस्था’, विज्ञान तकनीकी एवं अभियांत्रिकी में प्रो. पूर्णेन्दु घोष को ‘वैज्ञानिक विचार द्वीपों के बीच सामाजिक काव्य पुलो का निर्माण’, चिकित्सा विज्ञान एवं स्वास्थ्य (भारतीय चिकित्सा पद्धति) में डॉ. हिमांशु भाटिया को उनकी पुस्तक ‘सेरेब्रल पाल्सी: व्यथा, कथा एवं कानून’, कला, संस्कृति एवं पर्यटन में डॉ. जितेन्द्र कुमार सोनी को उनके यात्रा वृतान्त ‘ओकुहेपा’, दर्शन, योग एवं अध्यात्म में मनोज गट्टानी को उनकी पुस्तक ‘मन सनातन’ एवं जनसंचार, पत्रकारिता एवं सिनेमा में डॉ. विजय विप्लवी व डॉ. कुंजन आचार्य को संयुक्त रूप से लिखी उनकी पुस्तक ‘पत्रकार दीनदयाल उपाध्याय’ के लिए हिंदी सेवा पुरुस्कार से सम्मानित किया गया।
इसके अतिरिक्त उन्होंने उच्च माध्यमिक एवं माध्यमिक परीक्षा में हिंदी विषय में शत प्रतिशत अंक प्राप्त करने वाले 342 विद्यार्थियों को भी पुरस्कृत किया। कार्यक्रम में वर्ल्ड बुक ऑफ़ रिकार्ड्स लंदन द्वारा राज्य के शिक्षा विभाग को पांच दुर्लभ प्रजातियों के 17 लाख से अधिक पेड़ लगाने पर प्रमाण पत्र भी दिया गया।
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(Udaipur Kiran)
