Maharashtra

ठाणे में मनोरोग अस्प रोगियों के दिल की दीवाली व उम्मीदों के दिये

Diwali mind of mental patients,lamps hope
Diwali mind of mental patients lamps hope

मुंबई,11 अक्टूबर ( हि.स.) ।दिवाली प्रकाश, आनंद और उत्साह का त्योहार है। लेकिन ठाणे के क्षेत्रीय मनोरोग अस्पताल में हर साल जलने वाले दीये सिर्फ़ मिट्टी के नहीं होते… ये उन ज़िंदगियों के होते हैं जिन्हें मन ने फिर से रोशन किया है। यहाँ मरीजों द्वारा बनाए गए लालटेन, लालटेन, तोरण और सुगंधित मोमबत्तियाँ सिर्फ़ वस्तुएँ नहीं हैं; ये पुनर्वास, आत्मनिर्भरता और आत्मविश्वास के दीये हैं।

मानसिक रूप से बीमार लोगों का जीवन कितना अंधकारमय होता है, इसका एहसास सिर्फ़ उनके करीबी लोगों को ही होता है। लेकिन जब इन मरीजों के हाथों से सुंदरता, रचनात्मकता और कलात्मकता निकलती है, तो वह दिवाली न केवल उनके जीवन की, बल्कि हमारे समाज की संवेदनाओं की भी बन जाती है। ठाणे के क्षेत्रीय मनोरोग अस्पताल में हर साल की तरह इस साल भी दिवाली के अवसर पर व्यावसायिक चिकित्सा विभाग में आकर्षक वस्तुएँ बनाई गई हैं। इस उपचार का मुख्य उद्देश्य रोगियों की छिपी हुई क्षमताओं को जागृत कर उन्हें मुख्यधारा में लाना है।

अक्टूबर माह को ‘विश्व मानसिक स्वास्थ्य माह’ के रूप में मनाया जा रहा है। इस दौरान, महिला एवं पुरुष व्यावसायिक चिकित्सा विभाग में चिकित्सा अधीक्षक डॉ. नेताजी मुलिक के मार्गदर्शन में, रोगियों ने एक हज़ार लालटेन, पाँच सौ यूटेन के पैकेट, सुगंधित मोमबत्तियाँ, तोरण और सुंदर रंगोली बनाई हैं। वहीं, पुरुष विभाग में रोगियों ने डेढ़ सौ आकाश लालटेन, एक हज़ार मोम के लालटेन, दो सौ गेरू के पैकेट और झंडे बनाए हैं। इन वस्तुओं की रंग-बिरंगी चमक उनके मन में व्याप्त प्रकाश, खुशी और आत्मविश्वास का प्रतिबिंब है।

दिवाली के दौरान, इन सभी वस्तुओं को प्रदर्शन के लिए रखा जाता है और कई नागरिक इन्हें रुचिपूर्वक खरीदते हैं। इससे रोगियों को आर्थिक रूप से सशक्त होने का एहसास होता है और उनके मन में मैं कुछ कर सकता हूँ की भावना पनपती है। इस वर्ष, अस्पताल को रोगियों द्वारा बनाए गए आकाश लालटेन, झंडों और तोरणों से भी सजाया जाएगा। इसके लिए व्यावसायिक चिकित्सा विशेषज्ञ डॉ. हेमांगिनी देशपांडे, डॉ. सुधीर पुरी और डॉ. जानवी केरजरकर, डॉ. अश्लेषा कोली आदि अधिकारियों और कर्मचारियों ने अथक परिश्रम किया।

ठाणे में क्षेत्रीय मनोरोग अस्पताल के चिकित्सा अधीक्षक डॉ नेताजी मालिक बताते हैं कि इस अस्पताल के डॉक्टर और चिकित्सक केवल दवाएँ ही नहीं देते। वे मन का पुनर्वास भी करते हैं। व्यावसायिक चिकित्सा विभाग में, रोगियों को विभिन्न चिकित्सीय गतिविधियाँ दी जाती हैं, जो उनकी एकाग्रता, समन्वय और समझ कौशल को बढ़ाती हैं और उन्हें समाज में फिर से एकीकृत होने के लिए तैयार करती हैं।

—————

(Udaipur Kiran) / रवीन्द्र शर्मा

Most Popular

To Top