
कोलकाता, 18 अक्टूबर (Udaipur Kiran News) । पश्चिम बंगाल के जिला मजिस्ट्रेटों (जिला निर्वाचन अधिकारी) को निर्वाचन आयोग (ईसीआई) ने बूथ लेवल ऑफिसर (बीएलओ) की नियुक्त करते समय विशेष सतर्कता बरतने का निर्देश दिया है। आयोग ने विशेष रूप से कहा है कि पारा-शिक्षकों को बीएलओ के रूप में नियुक्त करने से बचा जाए।
यह चेतावनी विपक्षी दलों की ओर से आई शिकायतों के बाद दी गई है, जिनमें आरोप लगाया गया है कि कई जिलों में पारा-शिक्षकों को बीएलओ बनाया गया है।
मुख्य निर्वाचन अधिकारी (सीईओ) कार्यालय ने सभी जिला निर्वाचन अधिकारियों को यह भी निर्देश दिया है कि यदि किसी जिले में पहले से किसी पारा-शिक्षक को बीएलओ नियुक्त किया गया है, तो उसे आयोग द्वारा निर्धारित पात्रता मानकों के अनुसार किसी अन्य योग्य व्यक्ति से बदल दिया जाए।
निर्वाचन आयोग के दिशा-निर्देशों के अनुसार, राज्य सरकार के स्थायी कर्मचारी और सरकारी स्कूलों के स्थायी शिक्षक, जिन्हें भविष्य निधि, पेंशन या ग्रेच्युटी जैसी सेवानिवृत्ति सुविधाएं प्राप्त होती हैं, उन्हें बीएलओ नियुक्ति में प्राथमिकता दी जानी चाहिए। विशेष परिस्थितियों में, जब ऐसे स्थायी कर्मचारी उपलब्ध न हों, तो संविदा कर्मचारी को सीईओ कार्यालय की अनुमति से बीएलओ के रूप में नियुक्त किया जा सकता है।
पारा-शिक्षक संविदा पर नियुक्त किए गए शिक्षक होते हैं, जिन्हें राज्य सरकारें विशेष रूप से दूरदराज या शिक्षकों की कमी वाले इलाकों में शिक्षा व्यवस्था को सुचारू रखने के लिए नियुक्त करती हैं।
इसी बीच, सीईओ कार्यालय के सूत्रों के अनुसार, यह भी निर्देश दिया गया है कि वे बीएलओ की उन शिकायतों पर ध्यान दें जिनमें “फर्जी नाम” मतदाता सूची में जोड़ने के लिए धमकी या डराने-धमकाने की घटनाओं की बात कही गई है।
हाल ही में इलेक्टोरल वर्कर्स यूनिटी फोरम के तहत कई बीएलओ ने सीईओ मनीष कुमार अग्रवाल को पत्र लिखकर शिकायत की थी कि उन्हें “फर्जी नाम” जोड़ने के लिए धमकाया जा रहा है और कई मामलों में हथियार दिखाकर डराने की कोशिश भी की गई है। उन्होंने चुनाव ड्यूटी के दौरान सुरक्षा उपलब्ध कराने की मांग की है। ——————-
(Udaipur Kiran) / ओम पराशर
