
हरदा, 30 जून (Udaipur Kiran) । जिले में शिक्षा अधिकार अधिनियम के तहत जारी प्रावधानों की अवहेलना करते हुए लंबे समय से निजी विद्यालय संचालित है फिर भी जांच पड़ताल कराकर उनके खिलाफ किसी प्रकार की कोई कार्यवाही नहीं की जा रही है। मान्यता और स्कूल संचालन के मापदंडों का उल्लंघन किया जा रहा है। बिना ड़ी.एड़.,बी.एड़. वाले शिक्षक पढ़ा रहे हैं, सी.सी.टी.व्ही. कैमरे नहीं लगे हैं। बालक-बालिका के लिए अलग-अलग शौचालय होना चाहिए। दिव्यांगो के लिए रैम्प और अलग से शौचालय निजी विद्यालय संचालन करने वाली समिति के नाम एक से दो एकड़ जमीन होना चाहिए, प्रशिक्षण देकर शैक्षनिक गतिविधियों को प्रभावी बनाने की पहल, वाहन बीमा, कामर्शियल वाहन, चालक-परिचालक, शिक्षक-शिक्षिकाओं का पुलिस वेरीफिकेशन स्वच्छ पेयजल, पीली बस, पीली पट्टी और स्कूल वाहनों को जी.पी.एस. सिस्टम से जोड़ने की पहल होनी चाहिए।
मापदंडों पर खरे नहीं उतर रहे अधिकांश स्कूल –
निजी स्कूल के संचालक शिक्षा को व्यवसाय बना लिये हैं। कम से कम पैसे में शिक्षक रखे जाते हैं। डी.एड. बी.एड. वालों की अंकसूची लेकर नाम लिख लिया जाता है और काम दूसरों से करवाया जाता है। स्कूल संचालन में गाइडलाइन का उल्लंघन किया जा रहा है। मान्यता की कार्यवाही के दौरान भौतिक सत्यापन कार्यालय में बैठे-बैठे कर दिया जाता है। मान्यता की फाइल में शामिल सभी बिंदुओं के आधार पर भौतिक सत्यापन किया जाये तो मान्यता देने में मनमानी का भी मामला सामने आ सकता है। हरदा, खिड़किया और टिमरनी में करीब 200 से 250 स्कूल है। शायद ही ऐसा कोई निजी विद्यालय हो जहां मापदंड के अनुसार स्कूल का संचालन किया जाता हो।
आटो वेन से ले जा रहे स्कूली बच्चे –
स्कूल के बच्चों को आॅटो और वेन से ले जाया जाता है। क्षमता से अधिक बच्चों को बैठाया जाता है। जान से खिलवाड़ करते हुए परिवहन किया जा रहा है। आते-जाते वाहनों को देखते हैं। फिर भी उन पर कार्यवाही नहीं की जा रही है। स्कूल वाहन के संचालन के संबंध में जो दिशा-निर्देश है। उसका पालन नहीं किया जा रहा है। बीमा और पीले कलर का वाहन और पीली पट्टी होना चाहिए ड्रायवर, कंडक्टर का पुलिस वेरिफिकेशन होना चाहिए। आर.टी.ओ. और पुलिस मोहकमा के अधिकारी कर्मचारी इस तरफ ध्यान नहीं दे रहे हैं।
जी.पी.एस. सिस्टम से नहीं जुड़े वाहन –
बच्चों की सुरक्षा के लिहाज से स्कूल वाहनों को जी.पी.एस. सिस्टम से जोड़ा जाया जाना चाहिए। आदेश है फिर भी इस तरफ ध्यान नहीं दिया जा रहा है। चेकिंग करके कार्यवाही नहीं की जाती है जिसके कारण नियमों की खुले आम अवहेलना की जा रही है।
बच्चों का स्वास्थ्य परीक्षण नहीं –
निजी विद्यालयों के बच्चों का स्वास्थ्य परीक्षण नहीं होता है। इस संबंध में पहल होनी चाहिए। सी.एम.एच.ओ. हरदा को इस संबंध पहल करनी चाहिए । शिविर लगाकर या फिर आर.वी.एस. की टीम को स्वास्थ्य परीक्षण कराकर जरूरत अनुसार बच्चों को चिकित्सा सुविधा देना चाहिए। इस तरह की आवश्यकता लंबे समय से है। फिर भी ध्यान नहीं दिया जा रहा है।
पर्याप्त भवन नहीं –
कक्षा 1 से 12 तक के विद्यालय में पर्याप्त कक्ष होने चाहिए स्टाफ रूम, शौचालय अलग होना चाहिए। प्रशिक्षण और पुलिस वेरिफिकेशन भी कराया जाना चाहिए इस तरह ध्यान नहीं दिया जा रहा है। जिसके कारण अन्य जगहों पर बच्चों के साथ कई घटनाएं हो चुकी है। चालक परिचालक भी बच्चों के साथ दुर्व्यवहार करते हैं। इस लिहाज से सावधानी जरूरी है।
इस संबंध में जिला परिवहन अधिकारी राकेश कुमार अहाके का कहना है कि निजी विद्यालय में बच्चों को स्कूल ले जा रहे वाहनों की चेकिंग की जायेगी मापदंड के विपरीत हो रहे वाहनों के संचालन को गंभीरता से लेते हुए जांच पड़ताल कराकर सख्त कार्यवाही की जायेगी।
वहीं अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक, हरदा आर.ड़ी. प्रजापति का कहना है कि शिक्षकों, शिक्षिकाओं और स्कूल वाहन के चालकों परिचालकों का वेरिफिकेशन करवाया जायेगा।
जबकि मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी, हरदा। डॉ. एच.पी. सिंह ने बताया कि राष्ट्रीय बाल सुरक्षा कार्यक्रम के तहत निजी विद्यालयों में पढ रहे बच्चों को स्वास्थ्य परीक्षण कराकर आवश्यकतानुसार चिकित्सा सुविधा प्रदान की जायेगी।
हरदा जिला परियोजना समन्वयक, शिक्षा विभाग, बलवंत पटेल का कहना है कि कक्षा 1 से 8 तक के निजी स्कूलों की मान्यता बी.आर.सी. के निरीक्षण टीप के आधार पर दी जाती है, जिसमें आॅनलाइन फोटो आदि अपलोड किए जाते हैं। जिसको देखकर मान्यता की कार्यवाही पूरी की जाती है । 9 वीं से 12 वीं तक स्कूल की मान्यता संयुक्त संचालक लोक शिक्षण द्वारा दी जाती है ।
(Udaipur Kiran) / Pramod Somani
