
देहरादून, 13 सितम्बर (Udaipur Kiran) । राष्ट्रीय लोक अदालत में शनिवार को एक ही दिन में पूरे जिले में 14,445 मामलों का निस्तारण किया गया, जिस कारण जिला देहरादून में अब लंबिततल वादों की संख्या एक लाख से कम पर आ गई। मुकदमों के निस्तारण के साथ ही कुल 260028167 रुपये राजस्व की प्राप्ति हुई है।
जिला एवं सत्र न्यायाधीश प्रेम सिंह खिमाल के देखरेख में आयोजित राष्ट्रीय लोक अदालत जिला मुख्यालय देहरादून, बाह्य न्यायालय ऋषिकेश विकासनगर, डोईवाला एवं मयूरी जनपद देहरादून के न्यायलयों में राष्ट्रीय लोक अदालत का आयोजन किया गया। इस लोक अदालत में मोटर दुर्घटना क्लेम, सिविल मामले, पारिवारिक मामले, चेक बाउंस से सम्बंधित मामले व अन्य शमनीय प्रकृति के आपराधिक मामले लगाये गये थे।
लोक अदालत में फौजदारी के शमनीय प्रकृति के 195 मामले बैंक सम्बंधी 1055 मामले धन वसूली संबंधी 19 मामले, मोटर-दुर्घटना क्लेम ट्राईबुनल के 76 मामले, पारिवारिक विवाद सम्बंधी 128 मामले, मीटर वाहन द्वारा अपराधो के 12902 मामले एवं अन्य सिविल प्रकृति के 70 मामलो सहित कुल 11374 मामलों का निस्तारण किया गया। कुल 180,422,049 रुपये की धनराशि पर समझौता हुआ। साथ ही बाह्य न्यायालय, विकासनगर के न्यायिक अधिकारियों द्वारा लोक अदालत में कुल 1,900 मामलों का आपसी राजीनामे के आधार पर निस्तारण किया गया जिसमे कुल 22,075,346 रूपये का राजस्व प्राप्त हुआ। बाह्य न्यायालय ऋषिकेश के न्यायिक अधिकारियों की ओर से लोक अदालत ने कुल 912 मामलों का निस्तारण कर कुल 43,637,502 रूपये का राजस्व प्राप्त किया गया। बाह्य न्यायालय डोईवाला की ओर से 225 मामलों का निस्तारण कर कुल 98,72,507 रूपये का राजस्व प्राप्त किया गया और बाह्य न्यायालय मसूरी की ओर से 34 मामलों का निस्तारण कर कुल 40,20,763 रुपये का राजस्व प्राप्त किया गया।
इस राष्ट्रीय लोक अदालत में प्री-लिटिगेशन स्तर के मामले भी निस्तारित किये गये। उक्त लोक अदालत में प्री-लिटिगेशन स्तर के 6901 मामलों का निस्तारण किया गया और 36,059,775 की धनराशि के सम्बंध में समझौते किए गए।
पूर्व में 10 मई 2005 को आयोजित राष्ट्रीय लोक अदालत में भी जिला देहरादून का उत्कृष्ट प्रदर्शन रहा था जिसने एक ही दिन में 12675 पादों का निस्तारण किया गया था।
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सचिव/ वरिष्ठ सिविल जज जिला विधिक सेवा प्राधिकरण देहरादून सीमा डुँगराकोटी की ओर से बताया गया कि राष्ट्रीय लोक अदालतों के माध्यम से समाज में भाईचारे और शाति का वातावरण बनता है। लोक अदालत सरल व त्वरित न्याय प्राप्त करने का एक प्रभाधी माध्यम है, ऐसे आदेश अंतिम होते हैं और पक्षकारों को उनके ओर से दिया गया न्यायशुल्क भी वापस कर दिया जाता है।
(Udaipur Kiran) / राजेश कुमार
