
डिंडोरी, 05 नवंबर (Udaipur Kiran) । मध्य प्रदेश के डिंडौरी जिले में कागजों में किसानों को कूटरचित तरीके से सरकारी अनुदान पर बीज वितरण के मामले में आर्थिक अन्वेषण ब्यूरो ने तत्कालीन उप संचालक किसान कल्याण एवं कृषि विभाग, अश्वनी झारिया, शाखा प्रभारी इंद्र लाल गोरिया और वरिष्ठ कृषि विस्तार अधिकारी मेहंदवानी हेमंत मरावी पर बुधवार को प्राथमिकी दर्ज की गई है। तीनों पर आरोप है कि इन्होंने कूटरचित तरीके से 30 लाख से अधिक के चना और मसूर का बीज वितरण किसानों को कर दिया। जबकि यह बीज गोदाम में आया ही नहीं था।
इसके साथ ही जिन सैकड़ों किसानों का नाम बीज वितरण की सूची में दर्शाया गया है उनका कोई अता पता नहीं है। इसकी पुष्टि भौतिक सत्यापन से भी हुई है।
इस बाबद आरटीआई कार्यकर्ता रूपभान पाराशर ने कलेक्टर सहित ईओडब्ल्यू में शिकायत की थी। शिकायत के मुताबिक तत्कालीन उपसंचालक अश्विनी झारिया पर आरोप हैं, कि इन्होंने वर्ष 2021-22 में विकासखण्ड मेहंदवानी में टीआरएफए योजना अंतर्गत चना एवं मसूर बीज वितरण में जमकर गड़बड़ी की है।
शिकायत के मद्देनजर की गई जांच के दौरान शिकायतकर्ता रूप भान सिंह पराशर पिता ब्रजभान सिंह पराशर, निवासी वार्ड क्रमांक13, पुरानी डिडोरी ने कथन लेख किया था कि डिंडोरी जिले के किसान कल्याण एवं कृषि विकास विभाग के जिसमें वर्ष 2021-2022 में राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा मिशन के तहत टरफा योजना के अंतर्गत किसानो को चना एवं मसूर बीज वितरण में धांधली की गई है। इस संबंध में आर्थिक अपराध प्रकोष्ठ में शिकायत की गयी थी। जिसके बाद सीआर अहिरवार अनुविभागीय कृषि अधिकारी डिण्डौरी, प्रदीप मरावी, सहायक ग्रेड-3 कार्यालय अनुविभागीय कृषि अधिकारी डिण्डौरी तथा प्रियंका ठाकुर वरिष्ठ कृषि विकास अधिकारी डिण्डौरी के द्वारा विकासखंड मेहंदवानी में टरफा योजना के अंतर्गत वर्ष 2021-22 में कृषकों को बांटे गये चना एवं मसूर के बीजों के संबंध में जांच की गई थी।
तीनों ने ईओडब्ल्यू के समक्ष हाजिर होकर बताया था कि जांच समिति के द्वारा मौके पर जाकर अलग-अलग ग्रामों के कुल 57 कृषकों के लिखित बयान लिये गये थे तथा 12 पंचनामा तैयार किये गये गये थे। जिसमें से 36 कृषकों को बीज प्राप्त नहीं हुआ है पाया गया था।
बताया गया था कि ग्राम देवरगंढ ब्लॉक मेहंदवानी के 64 कृषकों को 75 किलो प्रति कृषक के मान से चना बीज वितरित किया जाना सूची में बताया गया था। जबकि मैदानी हकीकत यह थी कि उक्त 64 कृषक ग्राम देवगढ़ के नहीं थे। इससे साफ हो गया कि कागजों में 64 कृषकों को बीज वितरण दर्शाया गया था।
आर्थिक अन्वेषण प्रकोष्ठ की पूछताछ में अधिकारियों ने यह भी स्पष्ट कर दिया कि प्रस्तुत सूची के अनुसार वितरित बीज की मात्रा 822 क्विंटल 75 किग्रा बतायी गयी है, जबकि हेमंत मरावी, प्रभारी वरिष्ठ कृषि विकास अधिकारी विकासखंड मेहंदवानी द्वारा अपने बयान में लेख किया गया था कि एनएफएसएम तरफा योजना के अंतर्गत वर्ष 2021-22 में इन्हें कुल चना बीज 546 क्विंटल प्राप्त हुआ था। जिसको मेरे द्वारा कृषकों को वितरित किया गया। जबकि शेष चना बीज 276.75 क्विंटल बीज उन्हें प्राप्त नहीं हुआ है।
हेमंत मरावी ने यह भी लेख किया कि तत्कालीन अधिकारियों के दबाव में 728 कृषकों के अतिरिक्त 372 कृषकों की फर्जी सूची बनाकर 276.75 क्विंटल चना बीज का वितरण दर्शाया था तथा फर्जी सूची तैयार की थी। इसके साथ ही 305 कृषकों को 121.5 क्विंटल मसूर बीज वितरित किया था । जबकि 295 कृषकों की सूची फर्जी तैयार कर 118 क्विंटल मसूर बीज का फर्जी वितरण दर्शाया था। जांच के दौरान स्टॉक रजिस्टर के अवलोकन से भी साफ हो गया था कि 276.75 क्विंटल चना बीज तथा 118 क्विंटल मसूर बीज वरिष्ठ कृषि अधिकारी मेहंदवानी के कार्यालय में आया ही नहीं था। जबकि तत्कालीन उप संचालक कृषि अश्विनी झारिया व शाखा प्रभारी इंदर लाल गौरिया (सेवा निवृत्त) के कहने पर फर्जी कृषकों की सूची तैयार कर वितरण करा दिया गया था।
फर्जी तरीके से कागजों में वितरित 276.75 क्विंटल चना बीज राशि 7700-रुपये प्रति क्विंटल के मान से राशि 21 लाख 30 हजार 975 तथा 118 क्विंटल मसूर बीज राशि 7700 रुपये प्रति क्विंटल के मान से राशि 9 लाख 08 हजार 600 रुपया आंकी गई है।लिहाजा ईओडब्ल्यू ने 30 लाख 39 हजार 575 रुपया की हानि कारित करने के आरोप में तीनों के विरुद्ध धारा 120वी, 409, 420, 467, 468, 471, भादवि एव धारा 7 सी, 13 (1) बी सहपठित 13 (2) संशोधित 2018 के अंतर्गत अपराध पंजीबद्ध किया है।
हिन्दुस्थान समाचार/पंकज
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(Udaipur Kiran) / राजू विश्वकर्मा