


धमतरी, 10 सितंबर (Udaipur Kiran) । कभी सिर्फ सहायक कार्य समझा जाने वाला पशुपालन अब धमतरी जिले में किसानों की आर्थिक रीढ़ और खुशहाली का आधार बन चुका है। खेती के साथ-साथ अब पशुपालन ने किसानों की आय बढ़ाने और उन्हें आत्मनिर्भर बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। गोठान और पशु शेड आज गांव-गांव में रोजगार और आर्थिक सशक्तिकरण के नए केंद्र बनते जा रहे हैं।
राष्ट्रीय पशुधन मिशन (एनएलएम) के अंतर्गत उद्यमिता विकास कार्यक्रम (ईडीपी) में जिले की उल्लेखनीय प्रगति हुई है। अब तक विभिन्न पशुपालन गतिविधियों से जुड़े कुल 37 प्रकरण भेजे गए, जिनमें से 28 को स्वीकृति मिल चुकी है। इनमें बैकयार्ड पोल्ट्री एवं हैचरी, भेड़-बकरी पालन और पिगरी जैसे प्रोजेक्ट शामिल हैं। भेड़-बकरी पालन के लिए भेजे गए 28 प्रकरणों में से 15 प्रकरण बैंकों द्वारा स्वीकृत किए गए हैं, जिनकी लागत लगभग 10 करोड़ रुपये है। इस उपलब्धि ने धमतरी को प्रदेश में पशुपालन के क्षेत्र में अग्रणी जिला बना दिया है। यह प्रकरण महज कागज़ी आंकड़े नहीं हैं, बल्कि गांव-गांव में किसानों के सपनों को हकीकत में बदलने वाली कहानियां हैं। कहीं एक किसान आधुनिक डेयरी यूनिट खड़ा कर रहा है तो कहीं महिला समितियां बकरी पालन और पोल्ट्री के जरिए आत्मनिर्भरता की मिसाल पेश कर रही हैं।
इसी कड़ी में किसानों की सुविधा के लिए किसान क्रेडिट कार्ड (केसीसी) योजना भी तेजी से लागू की जा रही है। जिले में 1700 आवेदन तैयार किए गए, जिनमें से 180 किसानों को स्वीकृति मिल चुकी है। बीज खरीद से लेकर पशुओं के चारे तक की जरूरत पूरी करने वाला यह कार्ड किसानों की आर्थिक चिंताओं को कम करने में सहायक साबित हो रहा है। यह पहल केवल किसानों की आमदनी तक सीमित नहीं है, बल्कि सामाजिक बदलाव की कहानी भी लिख रही है। महिलाएं समितियों से जुड़कर घर की आय में बराबर की हिस्सेदारी निभा रही हैं, युवा पलायन छोड़कर गांव में ही रोजगार अपना रहे हैं। कलेक्टर अबिनाश मिश्रा, बैंक अधिकारियों, पंचायतों और खुद किसानों की सामूहिक मेहनत से यह बदलाव संभव हो पाया है। पशु शेड से निकलते दूध के कनस्तरों और पोल्ट्री फार्म में चूजों की चहचहाहट ने आज गांवों के चेहरों पर नई उम्मीद और समृद्धि की मुस्कान बिखेर दी है।
(Udaipur Kiran) / रोशन सिन्हा
