
अनूपपुर, 28 जुलाई (Udaipur Kiran) । मध्य प्रदेश के अनूपपुर जिले में कुछ आइएफएस अफसरों व अधिकारियों ने मिलकर तीन प्लाइवुड उद्योगों को अनुमति दे दी। वन मुयालय को पता चला कि यह तो नियमों को ताक पर रखकर दी है, तब आनन-फानन में जांच कराई गई।
जिसमे पाया कि सुप्रीम कोर्ट व केंद्र की गाइडलाइन के अनुसार नए उद्योगों को जिला स्तर से अनुमति नहीं दी जा सकती, जबकि मौजूदा डीएफओ विपिन पटेल ने 24 जुलाई को अनुमति निरस्त कर दी। इसमें एक फर्म मप्र व दो छग की है। यह अनुमति वर्ष 2024 में तत्कालीन प्रभारी डीएफओ श्रद्धा पेंद्रे ने वन विभाग के अन्य अफसरों के साथ मिलकर दी थी, जिन पर विभाग ने कार्रवाई करने के बजाय चुप्पी साध ली है।
अनूपपुर के अमलाई वार्ड तीन में रहने वाले अनिल कुमार अग्रवाल ने वर्ष 2024 में प्लाइवुड उद्योग लगाने की अनुमति मांगी। कहा कि वह नगर पालिका कोतमा सीमा के भीतर विनियर उद्योग लगाना चाहते है, जिसमें 1 सेट पीलिंग लेंथ मशीन 80 एचपी, 1 नग चेंसा मशीन 3 एचपी, गाइंडर मशीन 2 एचपी शामिल होगी। इसी तरह के दो आवेदन छत्तीसगढ़ के जिला पेंड्रा मरवाही के रहने वाले आकाश साहू व छोटापारा के रहने वाले मो. शाजिद रजा ने किए। इन तीनों के आवेदनों पर सुनवाई करने के बाद अनूपपुर की तत्कालीन प्रभारी डीएफओ श्रद्धा पेंद्रे ने 8 अक्टूबर 2024 को जारी की थी।
तत्कालीन प्रभारी डीएफओ की थी गलती
मौजूदा डीएफओ ने निरस्ती आदेश में लिखा कि उक्त अनुमति मप्र काष्ठ चिरान संशोधन नियम 1984 व पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय द्वारा काष्ठ आधारित उद्योग दिशा निर्देश 2016 और उसका संशोधन दिनांक 11 सितंबर 2017 के दिए गए दिशा-निर्देशों का उल्लंघन है।
अधिकार राज्य स्तरीय समिति को है
नए काष्ट आधारित उद्योगों को अनुमति देने के अधिकार राज्य स्तरीय वन समिति को है, लेकिन तत्कालीन प्रभारी डीएफओ पर आरोप है कि इन तीनों फर्मों को उन्होंने जो अनुमति दी है, उन्हें राज्य स्तरीय समिति के पास पेश ही नहीं किया।
(Udaipur Kiran) / राजेश शुक्ला
