Uttar Pradesh

गुरु पूर्णिमा पर्व : स्वामी अड़गड़ानंद महाराज के दर्शन को उमड़ा भक्तों का सैलाब

स्वामी अड़गड़ानंद महाराज के दर्शन कर आशीर्वाद लेते श्रद्धालु।

‘सदगुरु देव भगवान’ के जयकारों से गूंजा सक्तेशगढ़

मीरजापुर, 10 जुलाई (Udaipur Kiran) । गुरु पूर्णिमा के पावन अवसर पर परमहंस आश्रम, सक्तेशगढ़ में आस्था का अभूतपूर्व जनसैलाब उमड़ पड़ा। देशभर से लाखों श्रद्धालु स्वामी अड़गड़ानंद महाराज के दर्शन को पहुंचे और चरणों में शीश नवाकर आशीर्वाद प्राप्त किया। जैसे ही सुबह 9:50 बजे स्वामीजी मंच पर विराजमान हुए। इस दाैरान पूरे आश्रम परिसर में ‘सदगुरु देव भगवान की जय’ के नारों से आकाश गूंज उठा।

गुरु पूर्णिमा का यह आयोजन हर वर्ष की तरह इस बार भी श्रद्धा, अनुशासन और उत्साह के संगम का अद्भुत उदाहरण बना। दर्शन के लिए सुबह से ही लंबी कतारें लग चुकी थीं। भक्त घंटों इंतजार के बाद जैसे ही स्वामी जी के दर्शन मिले उनके चेहरे श्रद्धा और उल्लास से दमक उठे।

भक्तों से खचाखच भरा आश्रम, चप्पे-चप्पे पर रही निगरानी

आश्रम परिसर में भारी भीड़ को नियंत्रित करने के लिए जिला प्रशासन पूरी तरह चौकन्ना दिखा। मुख्य प्रवेश द्वार से लेकर दर्शन हाल तक पुलिस बल की विशेष तैनाती रही। अपर पुलिस अधीक्षक ओ.पी. सिंह, उप जिलाधिकारी चुनार राजेश वर्मा तथा अपर जिलाधिकारी लगातार सुरक्षा व्यवस्था का जायजा लेते रहे।

जगह-जगह लगाए गए बैरियर

गरू पूर्णिमा के अवसर पर भीड़ काे लेकर व्यवस्था की गई थी। यहां टेढ़ीया मोड़, सिद्धनाथ की दरी, गोबर दहा रेलवे क्रॉसिंग और बाबा सिद्धनाथ इंटर कॉलेज कोठीलवा तक ट्रैफिक को नियंत्रित करने के लिए जगह-जगह बैरियर लगाए गए। वाहन पार्किंग की समुचित व्यवस्था की गई ताकि श्रद्धालुओं को किसी प्रकार की असुविधा न हो।

चोटिलों के लिए चिकित्सकीय सुविधा, अनुशासन से भरा आयोजन

कुछ स्थानों पर अत्यधिक भीड़ के कारण हल्का धक्का-मुक्की भी हुई, जिससे कुछ श्रद्धालु घायल हो गए। प्रशासन की तत्परता से तुरंत चिकित्सा सहायता उपलब्ध कराई गई। इस पूरे आयोजन को देखकर यह स्पष्ट हुआ कि श्रद्धा जब अनुशासन से मिलती है, तो आयोजन सिर्फ धार्मिक नहीं, सामाजिक अनुशासन का भी प्रतीक बन जाता है।

गूंजती रहीं गुरुवाणी, झूमते रहे श्रद्धालु

आश्रम परिसर में जगह-जगह भजन-कीर्तन, गुरुवाणी और स्वामी जी के प्रवचनों का आयोजन चलता रहा। भक्तों ने सत्संग का लाभ उठाया और गुरु की महिमा में सराबोर हो गए।

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(Udaipur Kiran) / गिरजा शंकर मिश्रा

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