
—लगातार दूसरे दिन दुर्गाकुंड दरबार में मां शेरा वाली का जयकारा गूंज रहा
वाराणसी, 26 सितंबर (Udaipur Kiran News) । उत्तर प्रदेश की धार्मिक नगरी वाराणसी (काशी) में दस दिवसीय शारदीय नवरात्र के पांचवे दिन शुक्रवार को भी चतुर्थी तिथि का मान होने के कारण श्रद्धालुओं ने दुर्गाकुंड स्थित कुष्मांडा दरबार में हाजिरी लगाई। दरबार में लगातार दर्शन पूजन के लिए श्रद्धालु आधी रात के बाद से ही पहुंचते रहे। कतारबद्ध श्रद्धालुओं ने मंदिर में अपनी बारी आने पर दर्शन पूजन किया। मंदिर में श्रद्धालुओं ने नारियल, चुनरी, गुड़हल के फूलों की माला, फल-मिष्ठान अर्पित किए।
पंडित अवधेश तिवारी ने बताया कि आदि शक्ति के इस स्वरूप के दर्शन से जीवन की सभी बाधाएं, विघ्न और दुख दूर हो जाते हैं। साथ ही भक्त भवसागर से भी उबर जाते हैं। मां कुष्मांडा की आठ भुजाएं हैं, जिनमें क्रमशः कमंडल, धनुष, बाण, कमल पुष्प, अमृतपूर्ण कलश, चक्र और गदा हैं। मान्यता के अनुसार जब सृष्टि का अस्तित्व नहीं था और चारों ओर अंधकार ही अंधकार फैला हुआ था, तब मां कुष्मांडा ने अपने ‘ईषत’ हस्त से सृष्टि की रचना की थी। इस प्राचीन देवी मंदिर का जिक्र ‘काशी खंड’ में भी मिलता है। यह मंदिर नागर शैली में निर्मित है। इसके गाढ़े लाल रंग के स्वरूप के कारण इसे आध्यात्मिक शक्तिपीठ के रूप में जाना जाता है। शारदीय नवरात्र के चौथे दिन मां विशालाक्षी, संकठा मंदिर, महिषासुर मर्दिनी, अर्दली बाजार महावीर मंदिर स्थित दुर्गा दरबार, भोजूबीर दक्षिणेश्वरी काली मंदिर समेत अन्य देवी मंदिरों में दर्शन पूजन के लिए कतार लगी रही। नव दुर्गा दर्शन के क्रम में पांचवें दिन शनिवार को पंचम स्वरूप में स्कंदमाता के दर्शन पूजन का विधान है। स्कंदमाता की वागेश्वरी देवी के रूप में मान्यता है। इनका मंदिर जैतपुरा स्थित वागेश्वरी देवी मंदिर में है। उधर, शारदीय नवरात्र के चौथे दिन पूजा पंडालों में भी तैयारियों को अन्तिम रूप दिया जा रहा है। नवरात्र की सप्तमी तक सभी पंडालों में देवी की प्राण-प्रतिष्ठा कर दी जाएगी।
—————
(Udaipur Kiran) / श्रीधर त्रिपाठी
