Uttrakhand

तृतीय केदार तुंगनाथ धाम दर्शन के लिए रिकॉर्ड संख्या में पहुंच रहे हैं भक्त

तृतीय केदार तुंगनाथ धाम

देहरादून/रुद्रप्रयाग, 31 अगस्त (Udaipur Kiran) । हिमालय में सबसे ऊंचाई व चन्द्रशिला की तलहटी में विराजमान तृतीय केदार तुंगनाथ धाम में तीर्थ यात्री रिकॉर्ड संख्या में दर्शन को पहुंच रहे हैं। अभी तक 94 हजार 223 तीर्थ यात्रियों ने पूजा-अर्चना व जलाभिषेक किया है।

लगातार हो रही मूसलाधार बारिश से भुजगली से चन्द्रशिला तक सुरम्य मखमली बुग्याल हरियाली से आच्छादित होने से तुंगनाथ यात्रा पड़ावों की खूबसूरती बढ़ने लगी है। गत 31 जुलाई को केदारनाथ यात्रा के विभिन्न पड़ावों पर आयी दैवीय आपदा के कारण तुंगनाथ धाम पहुंचने वाले तीर्थ यात्रियों की संख्या में भारी गिरावट आयी, लेकिन मौसम खुलने के बाद फिर तुंगनाथ धाम की यात्रा परवान चढ़ने के आसार बने हुए हैं। मन्दिर समिति ने बताया कि तुंगनाथ धाम में अभी तक 94 हजार 223 तीर्थ यात्रियों ने पूजा-अर्चना व जलाभिषेक कर विश्व समृद्धि की कामना की है।

तुंगनाथ धाम में बड़ी संख्या में तीर्थ यात्रियों, पर्यटकों व सैलानियों की आवाजाही से तीर्थाटन, पर्यटन व्यवसाय में भारी इजाफा होने के साथ-साथ मन्दिर समिति की आय में भी वृद्धि हुई है। 10 मई को भगवान तुंगनाथ धाम के कपाट ग्रीष्मकाल के लिए खोले गये थे तथा कपाट खुलने के बाद ही प्रतिदिन हजारों तीर्थ यात्री तुंगनाथ धाम पहुंचने लगे थे।

तुंगनाथ धाम के प्रबन्धक बलवीर नेगी ने बताया कि अभी तक तुंगनाथ धाम में 53 हजार 730 पुरुषों, 30 हजार 640 महिलाओं, 9 हजार 885 नौनिहालों, 810 साधु-सन्यासियों व 158 विदेशी सैलानियों ने तुंगनाथ धाम पहुंच कर पुण्य अर्जित किया। उन्होंने बताया कि इस वर्ष भगवान तुंगनाथ के कपाट खुलने के बाद से ही तीर्थ यात्रियों की आवाजाही बड़ी संख्या में शुरू हो गयी थी, जो कि 30 जुलाई तक जारी रही, लेकिन 31 जुलाई को केदारनाथ धाम की यात्रा प्रभावित होने के कारण तुंगनाथ धाम की यात्रा भी खासी प्रभावित हुई है।

प्रबन्धक बलवीर नेगी ने बताया कि तुंगनाथ घाटी में धीरे-धीरे मौसम खुशनुमा हो रहा है, इसलिए सितम्बर माह के दूसरे सप्ताह से तुंगनाथ धाम की यात्रा दोबारा परवान चढ़ने के आसार बने हुए हैं।

मन्दिर समिति के चन्द्रमोहन बजवाल ने बताया कि चोपता से सीधे चन्द्रशिला शिखर जाने वाले पर्यटकों व सैलानियों को मन्दिर समिति के रिकॉर्ड में दर्ज नहीं किया है, क्योंकि अधिकांश सैलानी प्रकृति के आनन्द लेने के लिए चोपता से सीधे चन्द्रशिला शिखर पहुंचते हैं।

(Udaipur Kiran) / राजेश कुमार

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