Uttrakhand

कांवड़ के रूप में हरिद्वार की धरा पर हो रहे देवलोक के दर्शन

केदारनाथ की प्रतिकृति के रूप में कांवड़
केदारनाथ की प्रतिकृति के रूप में कांवड़
केदारनाथ की प्रतिकृति के रूप में कांवड़

हरिद्वार, 15 जुलाई (Udaipur Kiran) । कांवड़ मेला गतिमान है। दो दिन बाद कांवड़ मेला अपने चरम पर होगा। बावजूद इसके कांवडि़यों का हरिद्वार आगमन लगातार जारी है। लाखों कांवडि़ए अभी तक गंगाजल भरकर अपने गंतव्य की ओर प्रस्थान कर चुके हैं। कांवड़ के दौरान तीर्थनगरी में चारों ओर से हर-हर, बम-बम के गुजांयमान स्वर ही सुनायी दे रहे हैं। इसके साथ ही तीर्थनगरी की छटा अनोखी नजर आ रही है।

सड़कों पर कांवडि़यों का सैलाब और विभिन्न प्रकार की मनमोहक कांवड़ सभी का ध्यान अपनी ओर आकर्षित कर रही हैं। भगवान शिव की भक्ति में लीन शिव भक्त कांवडि़ए अपने आराध्य का जलाभिषेक करने के लिए गंगाजल भरकर अपने गंतव्य की ओर कदम बढ़ाते हुए चल रहे हैं। आलम यह है कि आकर्षक कांवड़ को देखने के लिए देर शाम को सड़कों पर स्थानीय लोगों की भारी भीड़ उमड़ती है। यह नजारा अद्वितीय आध्यात्मिक महोत्सव जैसा अहसास कराता है।

रात्रि के समय जब लाखों रुपए की रंग-बिरंगी एलईडी लाइटों से सजी कांवड़ें सड़कों पर निकलती हैं, तो पूरा शहर देवस्वरूप लगने लगता है। कोई भगवान केदारनाथ मंदिर की आकृति में सजी कांवड़ लेकर चल रहा है तो कोई भगवान शिव की विशालकाय मूर्ति को साथ लेकर टोली में चल रहा है। जहां देखो वहां भगवा रंग, भक्ति से भरे गीतों की धुन, युवाओं की टोलियां, शिवरात्रि की प्रतीक्षा करती श्रद्धा ही नजर आ रही है। पूरी तीर्थनगरी मानो एक विशाल शिवालय बन गई हो।

(Udaipur Kiran) / डॉ.रजनीकांत शुक्ला

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