Uttar Pradesh

राजस्व निर्धारण का बकाया होते हुए भी नये बिजली कनेक्शन का प्रस्ताव खारिज

बिजली प्रतिकात्मक फोटो

लखनऊ, 24 अक्टूबर (Udaipur Kiran) । घरेलू व कामर्शियल विद्युत उपभोक्ताओं

के परिसर में राजस्व बकाया होते हुए भी नया कनेक्शन देने का प्रस्ताव

निदेशक मंडल ने पारित कर नियामक आयोग में संशोधन के लिए दाखिल किया था। उसे गुरुवार

को नियामक आयोग ने खारिज कर दिया। नियामक आयोग का कहना है कि यह विद्युत अधिनियम

2003 का खुला उल्लंघन है।

इस मुद्दे पर उप्र राज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद ने पावर कारपोरेशन

के निदेशक मंडल के प्रस्ताव के खिलाफ नियामक आयोग में विरोध प्रस्ताव दाखिल किया था।

उपभोक्ता परिषद ने कहा कि पावर कारपोरेशन को नियमों और कानून की जानकारी नहीं है, जिसकी

वजह से विद्युत नियामक आयोग ने बड़ा फैसला सुनाया, जो आगे लिए नजीर बनेगा।

उत्तर प्रदेश पावर कॉरपोरेशन निदेशक मंडल की तरफ

से एक यह प्रस्ताव पारित किया गया था कि 4 किलोवाट तक के घरेलू एवं वाणिज्य बिजली चोरी

प्रकरणों में, जिसमें बिजली चोरी के विरुद्ध लंबित बकाया दर्ज है, उनसे सादे पेपर पर

यह सहमति ले ली जाए कि भविष्य में जो निर्णय होगा, मान्य होगा और उसके बाद उन्हें कनेक्शन

दे दिया जाए। पावर कारपोरेशन के इस निदेशक मंडल के आदेश को विद्युत नियामक आयोग ने

खारिज कर दिया। विद्युत नियामक आयोग द्वारा पारित आदेश की प्रति पावर कारपोरेशन के

अध्यक्ष व प्रबंध निदेशक सहित निदेशक कामर्शियल को सचिव विद्युत नियामक आयोग की तरफ

से भेज दिया गया है ।

उत्तर प्रदेश राज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद के

अध्यक्ष अवधेश कुमार वर्मा ने विद्युत नियामक आयोग द्वारा सुनाए गए फैसले के बाद नियामक

आयोग के अध्यक्ष अरविंद कुमार व सदस्य संजय कुमार सिंह से मिलकर उनका आभार व्यक्त किया

और कहा कि बिजली चोरी पर विद्युत नियामक आयाेग का रुख संवैधानिक है, उपभोक्ता परिषद

उसका स्वागत करता है।

विद्युत नियामक आयोग ने विस्तृत अपने आदेश में विद्युत

अधिनियम 2003 के प्रावधानों को समझाते हुए कहा कि बिजली चोरी का कानून बहुत ही सख्त

है। उसमें कोई भी बदलाव या संशोधन नहीं किया जा सकता। बिजली चोरी के मामले में राजस्व

निर्धारण जब तक जमा नहीं होगा, तब तक नया कनेक्शन नहीं मिल सकता। राजस्व निर्धारण भी

एक बकाया है और यह कानून सभी को पता है कि जिस परिसर पर बकाया है, उस पर बिजली

का कनेक्शन नहीं दिया जा सकता। ऐसे में पावर कारपोरेशन का प्रस्ताव पूरी तरह बिजली

चोरी के कानून का खुला उल्लंघन है। आयोग ने पारित अपने आदेश में यह भी कहा कि 1910

के एक्ट में बिजली चोरी का प्रावधान था और उसे विद्युत अधिनियम 2003 में और सख्त किया

गया।

(Udaipur Kiran) / उपेन्द्र नाथ राय

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