
नई दिल्ली, 22 सितंबर (Udaipur Kiran News) । विश्व सांकेतिक भाषा दिवस के मौके पर केंद्र सरकार का दिव्यांगजन सशक्तीकरण विभाग (डीईपीडब्ल्यूडी) मंगलवार को आयोजित होने वाले कार्यक्रम में कई नई पहलें शुरू करेगा। इनमें द्वि-वार्षिक न्यूजलेटर, स्नातकोत्तर डिप्लोमा पाठ्यक्रम, छह महीने का ऑनलाइन आईएसएल प्रशिक्षण, नई शिक्षण सामग्री, आईएसएल में 100 विज्ञान-तकनीकी शब्द, अंग्रेजी भाषा कार्यक्रम, 3,189 आईएसएल ई-सामग्री वीडियो, प्रोजेक्ट इंक्लूजन ऐप के साथ आईएसएल का उपयोग और 18 एनबीटी पुस्तकों का आईएसएल संस्करण शामिल हैं। यह कार्यक्रम दिल्ली के डॉ. अंबेडकर अंतरराष्ट्रीय केंद्र (डीएआईसी) में आयोजित होगा।
केंद्रीय सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्रालय के मुताबिक, ये पहले बधिर समुदाय के लिए पढ़ाई, कौशल और रोजगार के नए रास्ते खोलेगी। द्वि-वार्षिक न्यूजलेटर शोध और प्रशिक्षण से जुड़ी उपलब्धियों को साझा करने का मंच होगा, जबकि स्नातकोत्तर डिप्लोमा पाठ्यक्रम से विशेषज्ञ शिक्षक और दुभाषिए तैयार होंगे। छह महीने का ऑनलाइन आईएसएल प्रशिक्षण कार्यक्रम देशभर के विद्यार्थियों को आसानी से जुड़ने का अवसर देगा।
शिक्षण-अधिगम सामग्री को मानकीकृत रूप में तैयार किया जाएगा और आईएसएल में 100 नए विज्ञान-तकनीकी शब्द जोड़े जाएंगे। अंग्रेजी भाषा कार्यक्रम से रोजगार की संभावनाएं बढ़ेंगी। इसी तरह 3,189 आईएसएल ई-सामग्री वीडियो शिक्षकों और विद्यार्थियों को डिजिटल संसाधन उपलब्ध कराएंगे। प्रोजेक्ट इंक्लूजन ऐप के जरिए मुख्यधारा की कक्षाओं में समावेशी शिक्षा को बढ़ावा मिलेगा और 18 एनबीटी पुस्तकों के आईएसएल संस्करण से बधिर बच्चों और युवाओं को साहित्य तक नई पहुंच मिलेगी।
कार्यक्रम में केंद्रीय मंत्री डॉ. वीरेंद्र कुमार मुख्य अतिथि होंगे और राज्यमंत्री बीएल वर्मा विशेष अतिथि रहेंगे। विभाग के सचिव राजेश अग्रवाल और मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारी भी शामिल होंगे। बधिर संगठनों के प्रतिनिधि, शिक्षक, शोधकर्ता और छात्र बड़ी संख्या में भाग लेंगे। इस अवसर पर 8वीं राष्ट्रीय भारतीय सांकेतिक भाषा प्रतियोगिता के विजेताओं को सम्मानित किया जाएगा। बधिर छात्र सांस्कृतिक प्रस्तुतियां देंगे, जिनमें गीत व्याख्या, मूकाभिनय और समूह नृत्य शामिल रहेंगे।
उल्लेखनीय है कि संयुक्त राष्ट्र महासभा ने 23 सितंबर को अंतरराष्ट्रीय सांकेतिक भाषा दिवस घोषित किया है। इस साल का विषय “सांकेतिक भाषा के अधिकारों के बिना कोई मानवाधिकार नहीं” है, जिससे पता चलता है कि बधिर व्यक्तियों के अधिकार और सम्मान के लिए सांकेतिक भाषा कितनी जरूरी है।
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(Udaipur Kiran) / प्रशांत शेखर
