
मुंबई,18 अगस्त ( हि.स.) । मृत्यु शाश्वत है यह अंत नहीं है… कभी-कभी यह किसी और के लिए नया जन्म भी होती है – इस सत्य को ठाणे सिविल अस्पताल ने चरितार्थ किया है। अंगदान के पवित्र कार्य को गौरवान्वित करने के लिए एक हृदयस्पर्शी पहल शुरू की गई। मृत्यु के बाद अंगदान करके कई लोगों को नया जीवन देने वाले 19 लोगों के परिजनों को हाल ही में विशेष रूप से सम्मानित किया गया और उन्हें अंगदान प्रमाण पत्र प्रदान किए गए।
अंगदान को लेकर डर और झिझक को दूर करने वाली और यह विश्वास दिलाने वाली यह पहल कि मृत्यु के बाद भी हमारा जीवन सार्थक हो सकता है, ठाणे के लिए एक गौरवशाली क्षण था।राज्य के स्वास्थ्य मंत्री प्रकाश अबितकर की संकल्पना के अनुसार, यह निर्णय लिया गया कि अंगदान करने वालों के परिवारों का सार्वजनिक रूप से सम्मान किया जाए। इसी क्रम में, हाल ही में ज़िला कलेक्टर कार्यालय में आयोजित एक कार्यक्रम में, ज़िले के उपमुख्यमंत्री और पालकमंत्री एकनाथ शिंदे ने अंगदान करने वाले 19 परिवारों का सम्मान किया। इस अवसर पर ज़िला कलेक्टर डॉ. श्रीकृष्णनाथ पंचाल और पुलिस कमिश्नर आशुतोष दुंबरे भी उपस्थित थे।
डॉ प्रशांत सिनकर का कहना है कि आज इस समारोह का माहौल बेहद भावुक था। अपनों को खोने वाले परिवारों की आँखों में आँसू थे, लेकिन साथ ही गर्व का भाव भी था। हमारे एक फैसले की वजह से किसी की जान बच गई, कोई नई साँस ले रहा है। इन 19 परिवारों ने एक जीवंत मिसाल कायम की कि मरने के बाद भी किसी का वजूद दूसरों के जीवन का सहारा बन सकता है। ठाणे सिविल अस्पताल के माध्यम से यह सम्मान न केवल इन परिवारों की यादें ताज़ा करता है, बल्कि समाज को एक प्रेरक संदेश भी देता है। कार्यक्रम में स्वास्थ्य विभाग के उपनिदेशक डॉ. अशोक नंदापुरकर, ज़िला शल्य चिकित्सक डॉ. कैलास पवार, डॉ. सुहास मोहनलकर, डॉ. महेंद्र केंद्रे, डॉ. अर्चना पवार, डॉ. राजू काले, विनोद जोशी आदि उपस्थित थे।
ठाणे जिला सिविल अस्पताल के अधीक्षक शल्य चिकित्सक डॉ कैलाश पवार का कहना है कि अंगदान केवल एक चिकित्सा प्रक्रिया नहीं है, यह मानवता की सर्वोच्च अभिव्यक्ति है। नेत्रदान अंधकार में खोए लोगों के जीवन में रोशनी लौटाता है। हृदय और गुर्दा दान करने से किसी व्यक्ति को मृत्यु के मुँह से वापस लाया जा सकता है। इस दान के साथ समाप्त होने वाली भौतिक यात्रा किसी और के जीवन में जारी रहती है।
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(Udaipur Kiran) / रवीन्द्र शर्मा
