
गुवाहाटी, 13 अक्टूबर (Udaipur Kiran News) । असम प्रदेश भाजपा ने राज्य में हो रही “जनसांख्यिकीय घुसपैठ” पर गहरी चिंता व्यक्त करते हुए कहा है कि अवैध बांग्लादेशी प्रवासियों की बढ़ती संख्या के कारण असम की मौलिक अस्मिता और सांस्कृतिक पहचान गंभीर संकट में है।
भाजपा की प्रवक्ता जफरीन मेहजबीन ने आज एक बयान में कहा कि आंकड़े बेहद चिंताजनक रुझान दिखा रहे हैं। उन्होंने कहा, “2011 की जनगणना के अनुसार असम में हिंदू आबादी 61.46% थी, जबकि मुस्लिम आबादी 32.22% थी। 2021 के अनुमान बताते हैं कि अवैध बांग्लादेशी मुस्लिम आबादी बढ़कर 38% तक पहुंच गई है, जिससे स्वतंत्रता के बाद पहली बार असमिया आबादी 60% से नीचे आ गई है।”
मेहजाबीन ने इस स्थिति के लिए “कांग्रेस की तुष्टिकरण और वोट बैंक राजनीति” को जिम्मेदार ठहराया। उन्होंने कहा कि “लगातार कई दशकों तक कांग्रेस सरकारों ने न सिर्फ इस घुसपैठ को नजरअंदाज किया बल्कि राजनीतिक संरक्षण देकर इसे बढ़ावा भी दिया।”
उन्होंने दशकों के हिसाब से बदलती जनसंख्या का ब्यौरा भी साझा किया—
1971: हिंदू 72.51%, मुस्लिम 24.56%
1991: हिंदू 67.13%, मुस्लिम 28.48%
2001: हिंदू 64.89%, मुस्लिम 30.92%
2011: हिंदू 61.46%, मुस्लिम 34.22%
2021: हिंदू 57%, मुस्लिम 38%
भाजपा प्रवक्ता ने कहा, “अवैध बांग्लादेशी मुसलमानों की जनसंख्या में यह तेज़ वृद्धि कोई स्वाभाविक जनसांख्यिकीय बदलाव नहीं है, बल्कि दशकों से चली आ रही राजनीतिक लापरवाही और सुनियोजित घुसपैठ का परिणाम है।”
उन्होंने बताया कि कांग्रेस शासनकाल में राज्य की लगभग 12% आबादी अवैध प्रवासियों की थी, जो अब बढ़कर 38% तक पहुंच चुकी है। यह स्थिति असम की सांस्कृतिक, भाषाई और राजनीतिक अखंडता के लिए गंभीर खतरा उत्पन्न कर रही है।
भाजपा ने कहा कि 2016 से भाजपानीत राज्य सरकार जनसांख्यिकीय आक्रामकता को रोकने के लिए निर्णायक कदम उठा रही है। इनमें बड़े पैमाने पर बेदखली अभियान, भूमि पुनः प्राप्ति और स्थानीय लोगों के अधिकारों की रक्षा जैसे उपाय शामिल हैं।
मेहजबीन ने बताया कि मौजूदा सरकार के कार्यकाल में अब तक 1.5 लाख बीघा से अधिक भूमि को अवैध कब्जे से मुक्त कराया गया है, जबकि अनुमानित 63 लाख बीघा भूमि पर अब भी अतिक्रमण है। यह कदम असम की भूमि को उसके वास्तविक स्वामियों को लौटाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण प्रयास है।
(Udaipur Kiran) / श्रीप्रकाश
