Jharkhand

लोकतंत्र और वंशवाद एक दूसरे के पूरक नहीं हो सकते: गिरिराज सिंह

केंद्रीय  मंत्री गिरिराज सिंह प्रेस कॉन्फ्रेंस करते हुए
प्रेस कॉन्फ्रेंस की तस्वीर

रांची, 26 जून( हि.स.)। केंद्रीय कपड़ा मंत्री ने कांग्रेस पार्टी और हेमंत सरकार पर जमकर निशाना साधा है। उन्होंने कहा कि लोकतंत्र और वंशवाद एक दूसरे के पूरक नहीं हो सकते है। 50 साल पहले इंदिरा गांधी ने देश पर इमरजेंसी थोपी, लोकतंत्र की हत्या की तो देश की युवा पीढ़ी को आज जानने की जरूरत है कि लोकतंत्र की जननी भारत जहां लिच्छवी गणराज्य था, में आखिर आपातकाल क्यों लगाया गया। क्यों लोकतंत्र को मारने की कोशिश की। इससे यह स्पष्ट है कि आपातकाल लगाने वाली प्रधानमंत्री इंदिरा वंशवाद की उपज थी। लोकतंत्र और वंशवाद एक दूसरे के पूरक नहीं हो सकते।

केंद्रीय मंत्री गुरुवार को भाजपा प्रदेश कार्यालय में प्रेसवार्ता को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि 24 अप्रैल, 1971 को राज नारायण ने इंदिरा गांधी की ओर से चुनाव में धोखाधड़ी के खिलाफ मुकदमा दर्ज कराया । इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने इस मुकदमे की सुनवाई करते हुए 12 जून, 1975 को इंदिरा गांधी के खिलाफ फैसला सुनाया।

इधर देश के अंदर कांग्रेस कांग्रेस सरकार के खिलाफ आंदोलन गुजरात से शुरू होकर बिहार पहुंच गया था। न्यायालय के फैसले ने आंदोलन को बल दिया। ऐसी स्थिति में इंदिरा गांधी का तानाशाही चेहरा सामने आया। उन्होंने दोष मुक्ति तक पद से इस्तीफा देने का फैसला न कर सर्वोच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया। लेकिन 24 जून, 1975 को सुप्रीम कोर्ट ने भी इंदिरा गांधी के खिलाफ फैसला दिया।

वंशवाद की उपज और सत्ता की लोलुप इंदिरा गांधी ने तानाशाही रवैया अपनाते हुए देश पर 25 जून 1975 की रात तत्कालीन राष्ट्रपति फकरुद्दीन अली अहमद के हस्ताक्षर से आपातकाल थोप दिया। रेडियो प्रसारण से देश की जनता इस काले संदेश को सुनी,लाखों लोगों को बिना कोई कसूर के गिरफ्तार किया गया। दो लाख से अधिक राजनीतिक दल के नेताओं की गिरफ्तारी की गई। अटल बिहारी वाजपेयी, लाल कृष्ण आडवाणी, राज नारायण, झारखंड के कड़िया मुंडा जैसे अनेक नेता गिरफ्तार किए गए। महिलाओं को भी नहीं बख्शा गया। 20 हजार से ज्यादा कर्मचारियों को निरस्त कर दिया गया। आज भले ही मस्जिदों से कांग्रेस पार्टी के पक्ष में फतवा जारी होता है लेकिन आपातकाल में मस्जिदों को भी नहीं बख्शा गया था। पकड़-पकड़ कर नसबंदी की जा रही थी।

कहा कि राहुल गांधी जो किताब लेकर घूमते-फिरते संविधान बचाने की दुहाई देते हैं उन्हें अपना इतिहास पढ़ना चाहिए। आज के नौजवानों को कांग्रेस के इस चरित्र को जानना जरूरी है। कलम की ताकत लोकतंत्र के कारण बची है। कलम बंद नहीं करना पड़े इसलिए आज की पीढ़ी को लोकतंत्र के काले अध्याय के विषय में जानना जरूरी है।

कांग्रेस 25 जून को देशभर में माफी सभा करके देश की जनता से माफी मांगनी चाहिए। भाजपा देश भर में मॉक पार्लियामेंट के माध्यम से युवाओं को इस काले अध्याय से परिचित करा रही है। हेमंत सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि यहां तो आपातकाल से भी भयावह स्थिति है। झारखंड जमाई टोला का राज्य बनता जा रहा। झारखंड बारूद के ढेर पर बैठा है। यह बारूद जमाई टोला है।

देश से घुसपैठियों को बाहर करने का काम किया जा रहा चिह्नित किया जा रहा है लेकिन झारखंड में रेड कार्पेट बिछाया जा रहा । आदिवासी आबादी घट रही। उनके अस्तित्व पर खतरा मंडरा रहा है।उन्होंने कहा कि आदिवासी समाज बचेगा तभी तो नेता बनेंगे। हेमंत सरकार अबतक पेसा कानून लागू नहीं किया है। यह कानून आदिवासियों की परंपरा संस्कृति को बचाने का कानून है। जल, जंगल, जमीन पर अधिकार दिलाने का कानून है। आज राज्य के युवाओं को दलगत भावना से ऊपर उठकर झारखंड को बचाने के लिए चिंता करनी चाहिए।

कहा कि हेमंत सरकार सत्ता के लोभ में घुसपैठियों को संरक्षण देकर आपातकाल से भी ज्यादा खतरनाक खेल खेल रही है। प्रेसवार्ता में जिलाध्यक्ष वरुण साहू, प्रदेश मीडिया प्रभारी शिवपूजन पाठक, महानगर प्रदेश प्रवक्ता अजय साह, वरिष्ठ नेता लक्ष्मण सिंह उपस्थित थे।

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(Udaipur Kiran) / विकाश कुमार पांडे

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