Delhi

डीयू के कॉलेजों में बौद्ध व आंबेडकर अध्ययन सेंटर खोलने की मांग

दिल्ली विश्वविद्यालय (फाइल फोटो)।

नई दिल्ली, 15 सितंबर (Udaipur Kiran) । फोरम ऑफ एकेडेमिक्स फॉर सोशल जस्टिस (शिक्षक संगठन) के चेयरमैन डॉ. हंसराज सुमन ने सोमवार को दिल्ली की मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता और शिक्षा मंत्री आशीष सूद को पत्र लिखकर राजधानी के सभी 28 वित्त पोषित कॉलेजों में बौद्ध अध्ययन विभाग और डॉ. आम्बेडकर अध्ययन सेंटर स्थापित करने की मांग की।

डॉ. सुमन ने कहा कि इन विभागों के खुलने से छात्रों और शिक्षकों के लिए नए रोजगार के अवसर पैदा होंगे और भारत का बौद्ध अध्ययन के क्षेत्र में वैश्विक प्रतिनिधित्व और मजबूत होगा। उन्होंने बताया कि बौद्ध अध्ययन में रोजगार की व्यापक संभावनाएं हैं और इस विषय से जुड़े छात्र शिक्षा, दर्शन, समाजशास्त्र, इतिहास और साहित्य जैसे क्षेत्रों में शोध और अध्यापन में सफलता प्राप्त कर रहे हैं।

उन्होंने कहा कि जैसे स्कूल स्तर पर डॉ. आम्बेडकर और स्वतंत्रता संग्राम के नायकों को पाठ्यक्रम में शामिल करने के लिए “जय भीम योजना” चलाई गई थी, वैसे ही उच्च शिक्षा में भी सामाजिक न्याय को बढ़ावा देने के लिए कदम उठाने जरूरी हैं।

डॉ. सुमन ने बताया कि दिल्ली विश्वविद्यालय का बौद्ध अध्ययन विभाग 1957 में स्थापित हुआ था और यूजीसी द्वारा ‘सेंटर फॉर एडवांस्ड स्टडीज’ की मान्यता प्राप्त है। यह विभाग श्रीलंका, थाईलैंड, म्यांमार, जापान, चीन, वियतनाम, लाओस और कंबोडिया जैसे देशों के छात्रों को आकर्षित करता है, जहां हर साल एमए, एमफिल, पीएचडी और डिप्लोमा कोर्स में सबसे ज्यादा दाखिले होते हैं।

फोरम के चेयरमैन ने चिंता जताई कि जिस तरह दिल्ली विश्वविद्यालय के विभिन्न विषयों की पढ़ाई स्नातक स्तर पर कॉलेजों में होती है, उसी तरह दिल्ली सरकार के वित्त पोषित सभी 28 कॉलेजों में भी स्नातक स्तर पर बौद्ध अध्ययन पढ़ाया जाना चाहिए। उन्होंने बताया कि दिल्ली सरकार से सम्बद्ध सत्यवती कॉलेज (सांध्य) ही एकमात्र ऐसा संस्थान है जहां बौद्ध अध्ययन की शिक्षा दी जा रही है।

डॉ. सुमन ने यह भी बताया कि 2017 से 2019 के बीच अपने अकादमिक काउंसिल कार्यकाल में उन्होंने कई बार डीयू कॉलेजों में बौद्ध अध्ययन विषय को शामिल करने की मांग की थी और कुलपति ने इस पर सकारात्मक आश्वासन दिया था, लेकिन अब तक ठोस कदम नहीं उठाया गया है।

उन्होंने कहा कि बढ़ती अकादमिक बेरोजगारी के बीच बौद्ध अध्ययन के साथ-साथ अफ्रीकन स्टडीज और पब्लिक एडमिनिस्ट्रेशन जैसे विषय भी शुरू करने चाहिए, क्योंकि प्रतियोगी परीक्षाओं और शोध कार्यों में इन विषयों की मांग तेजी से बढ़ रही है।

डॉ. सुमन ने उम्मीद जताई कि दिल्ली सरकार इस दिशा में जल्द पहल कर उच्च शिक्षा में सामाजिक न्याय और रोजगार सृजन की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम उठाएगी।

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(Udaipur Kiran) / माधवी त्रिपाठी

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