Uttrakhand

बागेश्वर के धारी-डोबा गांव की प्राचीन गुफा को धार्मिक धरोहर घोषित करने की मांग

देहरादून, 29 अक्टूबर (Udaipur Kiran) । बागेश्वर जनपद के दूरस्थ पहाड़ी क्षेत्र धारी-डोबा गांव के पास स्थित एक रहस्यमयी प्राचीन गुफा इन दिनों चर्चा का विषय बनी हुई है। यह गुफा न केवल धार्मिक आस्था का केंद्र है, बल्कि अपने अद्भुत प्राकृतिक स्वरूप और रहस्यमयी आकृतियों के कारण पर्यटकों को भी आकर्षित कर रही है। स्थानीय लोगाें ने इस गुफा का धार्मिक धरोहर घोषित करने की मांग की है।

ग्रामीण हर सिंह ने बताया कि गुफा से जुड़ी अनेक लोककथाएं और किंवदंतियाँ हैं। वहीं कुछ लोग इसे भूगर्भीय घटना मानते हैं। उन्होंने बताया कि उनके बुजुर्ग बताते थे कि यह गुफा बहुत पुरानी है। मान्यता है कि यह सतयुग के समय की है। बाबा यहां तपस्या करते थे, तभी से पत्थरों से दूध की धाराएं बहती हैं। संत देवेंद्र गिरी का कहना है कि, यह स्थान सिर्फ आस्था का नहीं, बल्कि ध्यान और साधना का भी केंद्र बन सकता है। यहाँ का वातावरण बेहद शांत और पवित्र है। विशेषज्ञों का कहना है कि कैल्सियम या चूना पत्थर के जल से स्नान प्रतिक्रिया होने पर ऐसी सफेद धाराएं बन सकती हैं।

ग्रामवासियों का कहना है कि उन्होंने कई बार शासन-प्रशासन से इस गुफा के संरक्षण की मांग की है, लेकिन अब तक कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया। लोगों का मानना है कि यदि यहां तक पहुंचने के लिए सड़क, रोशनी और बुनियादी सुविधाएं विकसित की जाएं। ग्रामीण दयाल पांडे ने इसे धार्मिक धरोहर घोषित करने की मांग की है, ताकि आने वाली पीढ़ियां भी इस चमत्कारिक गुफा को देख सकें।

इस गुफा के भीतर प्रवेश करते ही ठंडी हवा का झोंका और दीवारों पर उकेरी गई प्राकृतिक आकृतियां श्रद्धा और विस्मय दोनों का अनुभव कराती हैं। गुफा में कई संकरे मार्ग हैं, जो अंदर जाकर बड़े गुंबदाकार हाल में मिलते हैं। स्थानीय लोगों का कहना है कि भीतर बने प्राकृतिक शिवलिंगों से दूध जैसी सफेद धाराएं निरंतर निकलती प्रतीत होती हैं। इन दृश्यों को देखने के लिए आसपास के गांवों से लोग रोज़ यहाँ पहुंच रहे हैं।

(Udaipur Kiran) / विनोद पोखरियाल

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