
शिमला, 30 सितंबर (Udaipur Kiran News) । रेहड़ी-फड़ी तहबाजारी यूनियन से संबद्ध सीटू ने नगर निगम शिमला द्वारा तहबाजारियों के सत्यापन व पंजीकरण के लिए कई दस्तावेजों और एफिडेविट की अनिवार्यता के खिलाफ मंगलवार को एक दिन की हड़ताल की। इस दौरान शिमला शहर में वर्षों के बाद तहबाजारी पूरी तरह बंद रही। तहबाजारी उपायुक्त कार्यालय पर इकट्ठा हुए और एक रैली के रूप में डीसी ऑफिस परिसर पहुंचे, जहां उन्होंने जोरदार प्रदर्शन किया।
प्रदर्शन में सैकड़ों तहबाजारियों ने भाग लिया। गुस्से का इजहार करने के लिए तहबाजारियों ने डीसी ऑफिस परिसर में दुकानों का प्रदर्शन भी किया। यूनियन ने चेतावनी दी है कि यदि पंजीकरण और नवीनीकरण के लिए बेवजह शर्तें वापस नहीं ली गईं और केवल आधार कार्ड पर सत्यापन व पंजीकरण की व्यवस्था नहीं की गई, तो आंदोलन और तेज किया जाएगा।
प्रदर्शन को सीटू प्रदेशाध्यक्ष विजेंद्र मेहरा, जिला सचिव विवेक कश्यप, यूनियन अध्यक्ष दर्शन लाल, महासचिव राकेश सलमान, शब्बू आलम व पवन शर्मा भानु सहित कई नेताओं ने संबोधित किया। वक्ताओं ने कहा कि स्ट्रीट वेंडर्स एक्ट 2014 और 2007 में माननीय सुप्रीम कोर्ट द्वारा बनाई गई स्ट्रीट वेंडर्स पॉलिसी के तहत तहबाजारियों को सुरक्षा दी गई है, लेकिन नगर निगम प्रशासन बार-बार नियमों का उल्लंघन कर रहा है। उन्होंने कहा कि केबिनेट सब कमेटी के नाम पर कई दस्तावेज व एफिडेविट मांगना तहबाजारियों को परेशान करने की साजिश है, जबकि देश में हर कार्य आधार कार्ड से जुड़ा हुआ है। ऐसे में अतिरिक्त दस्तावेज मांगना पूरी तरह गैरजरूरी है।
तहबाजारियों ने यह भी आरोप लगाया कि मोमो, बर्गर और चाऊमीन बेचने वाले वेंडरों के गैस चूल्हे व स्टोव जब्त किए जा रहे हैं और रोजाना एक हजार रुपये जुर्माना वसूला जा रहा है। यह व्यवस्था स्ट्रीट वेंडर्स एक्ट के खिलाफ है और इसे तुरंत बंद किया जाना चाहिए। नो वेंडिंग जोन के नाम पर भी तहबाजारियों को प्रताड़ित करने के आरोप लगाए गए।
यूनियन नेताओं ने मांग की कि टाउन वेंडिंग कमेटी की नियमित बैठकें की जाएं और पिछले छह महीनों से शिमला शहर के विभिन्न इलाकों से हटाए गए वेंडरों को वैकल्पिक जगह दी जाए। उन्होंने कहा कि बार-बार पुराने वेंडरों का सर्वे करके परेशान करना बंद किया जाए और नए वेंडरों का सर्वे शुरू कर उन्हें पंजीकृत किया जाए।
नेताओं ने आरोप लगाया कि नगर निकाय प्रशासन लंबे समय से स्ट्रीट वेंडर्स एक्ट का उल्लंघन कर रहा है। कानून लागू हुए दस साल हो चुके हैं, लेकिन अब तक कई वेंडरों को प्रमाण पत्र नहीं मिले हैं। टाउन वेंडिंग कमेटी की बैठकों के अभाव में सैकड़ों लोग अपने हक से वंचित हैं। यूनियन ने सरकार और नगर निगम से मांग की है कि गैर पंजीकृत तहबाजारियों को तुरंत प्रमाण पत्र जारी किए जाएं और बेदखली की कार्रवाई पर रोक लगाई जाए।
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(Udaipur Kiran) / उज्जवल शर्मा
