HimachalPradesh

हिमाचल निर्माता डॉ. वाई.एस. परमार को भारत रत्न देने की मांग, विधानसभा में सर्वसम्मति से प्रस्ताव पारित

हिमाचल विधानसभा

शिमला, 21 अगस्त (Udaipur Kiran) । हिमाचल प्रदेश विधानसभा के शिमला में चल रहे मॉनसून सत्र में गुरूवार को प्रदेश के प्रथम मुख्यमंत्री और हिमाचल निर्माता स्वर्गीय डॉ. यशवंत सिंह परमार को भारत रत्न सम्मान दिए जाने की मांग को लेकर एक ऐतिहासिक प्रस्ताव सर्वसम्मति से पारित किया गया। नाहन के विधायक अजय सोलंकी ने नियम 101 के तहत गैर-सरकारी कार्य संकल्प सदन में पेश किया, जिसे पक्ष और विपक्ष दोनों दलों ने एकजुट होकर समर्थन दिया। इस दौरान सभी विधायकों ने राजनीति से ऊपर उठकर डॉ. परमार के योगदान को याद किया और उन्हें भारत रत्न से सम्मानित करने की सिफारिश केंद्र सरकार से करने का आह्वान किया।

डॉ. यशवंत सिंह परमार का जन्म 4 अगस्त 1906 को हुआ था जबकि 2 मई 1981 को उनका देहांत हो गया। हिमाचल प्रदेश के गठन और विकास में उनके असाधारण योगदान को देखते हुए उन्हें ‘हिमाचल निर्माता’, ‘संस्थापक’ या ‘निर्माता’ कहा जाता है। डॉ. परमार ने ही छोटी-छोटी पहाड़ी रियासतों को एकजुट कर हिमाचल प्रदेश की नींव रखी और प्रदेश की संस्कृति, अस्मिता और पहचान को बनाए रखने के लिए संघर्ष किया। वे न केवल हिमाचल के प्रथम मुख्यमंत्री बने बल्कि अपने सादगीपूर्ण जीवन, दूरदर्शिता और जनता के प्रति समर्पण के लिए हमेशा याद किए जाते हैं।

संकल्प प्रस्तुत करते हुए विधायक अजय सोलंकी ने कहा कि डॉ. परमार ने प्रदेश को अस्तित्व दिलाने के साथ ही विकास की मजबूत नींव रखी। उनकी दूरदृष्टि से ही आज हिमाचल एक अलग पहचान रखता है। उन्होंने कहा कि भारत रत्न देश का सर्वोच्च नागरिक सम्मान है और डॉ. परमार इसके पूर्ण रूप से पात्र हैं।

सदन में संकल्प पर चर्चा के दौरान उद्योग मंत्री हर्षवर्धन चौहान ने बताया कि डॉ. परमार बेहद सादगीपूर्ण जीवन जीते थे, मुख्यमंत्री होते हुए भी एचआरटीसी की बसों में सफर करते और रेस्ट हाउसों में रुकते थे। बागवानी मंत्री जगत सिंह नेगी ने उन्हें जनजातीय लोगों का मसीहा बताया और कहा कि उन्होंने पैदल यात्राएं कर गांव-गांव जाकर लोगों की समस्याएं सुनीं। शिक्षा मंत्री रोहित ठाकुर ने कहा कि अगर हिमाचल को किसी अन्य राज्य में मिला दिया जाता तो प्रदेश की संस्कृति खत्म हो जाती लेकिन डॉ. परमार की दूरदृष्टि ने हिमाचल की अलग पहचान कायम रखी।

भाजपा विधायक सुखराम चौधरी ने कहा कि इतिहास केवल घटनाओं से नहीं बल्कि महापुरुषों से बनता है और डॉ. परमार ऐसे ही महापुरुष थे। विधायक हंसराज ने कहा कि डॉ. परमार की जयंती बड़े पैमाने पर मनाई जानी चाहिए ताकि नई पीढ़ी उनके बारे में जान सके। कांग्रेस विधायक विनोद सुल्तानपुरी ने कहा कि राजनीति को उन्होंने कभी सत्ता का साधन नहीं बनाया बल्कि जनता की सेवा को प्राथमिकता दी। भाजपा विधायक रीना कश्यप ने कहा कि जिस पंचायत से उनका ताल्लुक था वहां विकास के विशेष कार्य होने चाहिए और उनके पैत्रिक गांव को आदर्श पंचायत घोषित किया जाना चाहिए।

कांग्रेस विधायक नीरज नैय्यर ने कहा कि डॉ. परमार ने आजादी से पहले ही लाहौर में पहाड़ी राज्य की परिकल्पना की थी। विपक्ष के नेता जयराम ठाकुर ने इस प्रस्ताव का समर्थन करते हुए कहा कि भारत रत्न का सम्मान डॉ. परमार को मिलना चाहिए और उनकी जयंती को भव्य तरीके से मनाया जाना चाहिए। विधानसभा उपाध्यक्ष विनय कुमार ने कहा कि डॉ. परमार का जीवन सादगी से भरा था और वे चूल्हे के पास बैठकर खाना खाते थे।

संकल्प पर हुई चर्चा के जवाब में उप मुख्यमंत्री मुकेश अग्निहोत्री ने कहा कि डॉ. परमार को किसी प्रमाण पत्र की जरूरत नहीं, उनका इतिहास अपने आप गवाही देता है। उन्होंने कहा कि भू सुधार कानून और धारा 118 उनकी ही देन है, जिनकी वजह से हिमाचल की जमीन आज सुरक्षित है। विधानसभा अध्यक्ष कुलदीप सिंह पठानिया ने प्रस्ताव पारित होने पर सभी विधायकों का धन्यवाद किया और कहा कि देर भले हुई है लेकिन अब यह मांग केंद्र सरकार तक जाएगी और पूरी उम्मीद है कि डॉ. परमार को भारत रत्न प्रदान किया जाएगा।

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(Udaipur Kiran) / उज्जवल शर्मा

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