
नई दिल्ली, 15 अक्टूबर (Udaipur Kiran News) । दिल्ली सरकार ने अपने 12 पूर्ण रूप से वित्तपोषित कॉलेजों को वित्तीय वर्ष 2025-26 की तीसरी किश्त के रूप में 108 करोड़ रुपये की अनुदान राशि बुधवार को जारी करने के आदेश दे दिए हैं। अब तक तीनों किस्तों से इन कॉलेजों को कुल 325 करोड़ की वित्तीय सहायता मिल चुकी है।
दिल्ली सरकार में शिक्षा मंत्री आशीष सूद ने इसे मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता के नेतृत्व में शिक्षण संस्थानों को दिवाली का उपहार बताया, जिससे शिक्षकों के वेतन, कॉलेज विकास और बुनियादी सुविधाओं को नई गति मिलेगी।
आशीष सूद ने बताया कि यह राशि कॉलेजों में कार्यरत शिक्षकों व कर्मचारियों के वेतन, रख-रखाव तथा आवश्यक पूंजीगत व्यय के लिए दी जा रही है। इसके अलावा, बिल्डिंग रखरखाव, बिजली, पानी और अन्य मूलभूत सुविधाओं के लिए लगभग 24 करोड़ रुपये अलग से जारी किए गए हैं, ताकि सुविधाओं का विकास प्राथमिकता के आधार पर हो सके।
शिक्षा मंत्री ने कहा कि सरकार का संकल्प है कि किसी भी शिक्षक या छात्र को संसाधनों की कमी का सामना न करना पड़े।
अनुदान प्राप्त करने वाले 12 कॉलेज हैं – आचार्य नरेंद्र देव कॉलेज, अदिति महाविद्यालय, बीआर आम्बेडकर कॉलेज, भास्कराचार्य कॉलेज ऑफ एप्लाइड साइंसेज, भगिनी निवेदिता कॉलेज, दीन दयाल उपाध्याय कॉलेज, इंदिरा गांधी कॉलेज ऑफ फिजिकल एजुकेशन, केशव महाविद्यालय, महाराजा अग्रसेन कॉलेज, महर्षि वाल्मीकि कॉलेज ऑफ एजुकेशन, शहीद राजगुरु कॉलेज ऑफ एप्लाइड साइंसेज और शहीद सुखदेव कॉलेज ऑफ बिजनेस।
शिक्षा मंत्री ने मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता के नेतृत्व की सराहना करते हुए कहा कि दिल्ली सरकार लगातार प्रयास कर रही है कि सभी शिक्षण संस्थानों को समय पर पर्याप्त वित्तीय सहायता मिले। इससे न शिक्षकों-कर्मचारियों को असुविधा हो और न छात्रों की शैक्षणिक गतिविधियों में बाधा आए।
उन्होंने पिछली सरकारों की आलोचना करते हुए कहा कि आम आदमी पार्टी (आआपा) अनुदान समय पर जारी नहीं करती थीं या बिल्कुल नहीं देतीं, जिससे छात्रों के भविष्य से खिलवाड़ होता था। उन्होंने कहा कि पिछली सरकारें उपेक्षा का शिकार रही, बहाने बनाते और राजनीतिक माइलेज के लिए काम करतीं। ढांचागत विकास पर ध्यान न देने से कॉलेजों की स्थिति बदतर हो गई।
सूद ने कहा कि भाजपा की सरकार ने आते ही बुनियादी सुविधाओं का आंकलन किया और वित्तीय समृद्धि सुनिश्चित की, ताकि अच्छे व काबिल विद्यार्थी तैयार हों। इस कदम से कॉलेजों की वित्तीय व अकादमिक स्थिति मजबूत होगी और उच्च शिक्षा की गुणवत्ता सुदृढ़ होगी।
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(Udaipur Kiran) / माधवी त्रिपाठी
