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दिल्ली के पर्यावरण मंत्री ने की डीपीसीसी इनोवेश चैलेंज की शुरूआत

दिल्ली सचिवालय में शुक्रवार को डीपीसीसी इनोवेशन चैलेंज की शुरुआत करते दिल्ली के पर्यावरण मंत्री मनजिंदर सिंह सिरसा

नई दिल्ली, 10 अक्टूबर (Udaipur Kiran News) । दिल्ली के पर्यावरण मंत्री मनजिंदर सिंह सिरसा ने शुक्रवार को दिल्ली प्रदूषण नियंत्रण समिति (डीपीसीसी) इनोवेशन चैलेंज की शुरुआत की। उन्होंने कहा कि इसका उद्देश्य ऐसे सस्ते, टिकाऊ और सीधे लागू किए जा सकने वाले समाधान ढूंढना जो पुराने वाहनों, निर्माण स्थलों और उद्योगों से निकलने वाले पीएम 2.5 और पीएम 10 कणों को घटा सकें।

दिल्ली के पर्यावरण मंत्री मनजिंदर सिंह सिरसा ने आज दिल्ली सचिवालय में संवाददाता सम्मेलन में बताया कि इस साल दिल्ली ने पिछले दस सालों में सबसे ज्यादा साफ हवा वाले दिन देखे हैं, लेकिन हमारा सपना है कि हर दिन ‘क्लीन-एयर डे’ बने। इसके लिए निर्देशों के सख्ती से पालन के साथ-साथ लगातार नवाचार की भी ज़रूरत है। उन्होंने कहा कि पहली बार दिल्ली ने हर नवाचारक के लिए अपने दरवाजे खोले हैं- स्टार्ट-अप, शोध संस्थान, आईआईटीए, बड़ी कंपनियां या कोई भी टेक डेवलपर अगर उसकी तकनीक स्केलेबल है, असरदार है और दिल्ली में लागू हो सकती है, तो हम उसे जरूर परखेंगे और समर्थन देंगे।

सिरसा ने बताया कि मूल्यांकन पूरी तरह पारदर्शी होगा। दिल्ली सरकार वही तकनीक चुनेंगे जो धरातल पर काम करे। देखा जाएगा कि कितनी धूल-कण की कमी होती है, कितनी लागत में, और इसे लगाना या चलाना कितना आसान है। जो समाधान सस्ता, असरदार और टिकाऊ होगा, वही सबसे ऊपर रहेगा। उन्होंने कहा कि जो टीमें स्टेज-2 तक पहुंचेंगी, उन्हें फ्री ट्रायल और 5 लाख रुपये तक का सपोर्ट मिलेगा। इसके बाद जो समाधान आईआईटीएस और राष्ट्रीय लैब्स में सफल साबित होंगे, उन्हें 50 लाख रुपये तक की राशि और सरकारी स्तर पर अपनाए जाने का मौका मिलेगा।

मंत्री ने यह भी बताया कि यह एक ‘ओपन चैलेंज’ है। आप रोड कोटिंग लाएं जो टायर की धूल पकड़ ले, एग्ज़ॉस्ट क्लीनर लाएं, ट्रैफिक जोन के लिए हवा साफ करने वाला सिस्टम बनाइए या कोई इंडस्ट्रियल डस्ट सॉल्यूशन — अगर यह दिल्ली की हवा में असर दिखा सकता है, तो उसका स्वागत है।

कैसे काम करेगा डीपीसीसी इनोवेशन चैलेंज

कौन भाग ले सकता है : कोई भी व्यक्ति, स्टार्ट-अप, शोध संस्थान, विश्वविद्यालय, कंपनी या टेक डेवलपर जिसके पास तैयार प्रोटोटाइप है।

क्या परखा जाएगा : असल परिस्थितियों में पीएम घटाने की क्षमता, लागत, टिकाऊपन, इंस्टॉलेशन की सरलता, स्केलेबिलिटी, ‘मेक-इन-इंडिया’ क्षमता और निगरानी की सटीकता।

समर्थन और परीक्षण : डीपीसीसी की शुरुआती स्क्रीनिंग के बाद स्वतंत्र विशेषज्ञ समिति द्वारा फील्ड/लैब ट्रायल, फिर एनपीएल या समकक्ष लैब से सत्यापन।

पुरस्कार : स्टेज-2 पास प्रोजेक्ट को 5 लाख रुपये की समर्थन राशि, राष्ट्रीय लैब से प्रमाणित और सरकार को अनुशंसित प्रोजेक्ट को 50 लाख रुपये।

अंतिम तिथि : आवेदन 31 अक्टूबर 2025 तक, आगे की प्रक्रिया निर्धारित कार्यक्रम के अनुसार होगी।

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(Udaipur Kiran) / धीरेन्द्र यादव

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