Bihar

नेपाल में बदलाव की आँच में झुलसा बिहार का दानिश

अपने परिजनो के साथ घायल दानिश

पूर्वी चंपारण,14 सितंबर (Udaipur Kiran) । काठमांडू के युवा हाॅस्पिटल के ट्रामा सेंटर में बिहार में पूर्वी चंपारण के एक ऐसे युवक का इलाज हो रहा है,जिसने नेपाल में फैले बेरोजगारी,भष्ट्राचार व नेपोटिज्म के विरूद्ध हुए आंदोलन में हिस्सा लेने के दौरान गोली का शिकार हुआ है।

दानिश आलम पिछले दस वर्षों से अपने परिवार संग नेपाल की राजधानी में रह रहा है। बीते 9 सितंबर को हुए जेन जेड आंदोलन के दौरान सरकार विरोधी प्रदर्शन का हिस्सा बना और पुलिस की गोली का शिकार हो गया। दानिश का परिवार एक दशक पहले बेहतर रोज़गार और जीवन की तलाश में मोतिहारी से काठमांडू आ बसा था, जहां उसके पिता ने एक छोटी दुकान खोल ली और पढ़ाई के दौरान दानिश ने भी इसी मिट्टी को अपनी पहचान बना लिया। 12वीं कक्षा पास करने के बाद प्रबंधन की पढ़ाई के लिए कॉलेज में दाखिला लेने की तैयारी कर रहे दानिश ने कभी नहीं सोचा था कि लोकतांत्रिक अधिकारों की मांग के इस आंदोलन में उसकी किस्मत गोली से टकरा जाएगी।

बीते 9 सितंबर की सुबह का दृश्य याद कर आज भी उसका शरीर सिहर उठता है दानिश कहता है कि सुबह दस बजे जब घर के बाहर कोलाहल मचा, तो उसने देखा कि उसके कई पुराने दोस्त प्रदर्शन में शामिल होने जा रहे थे और युवा जोश के साथ वह भी क़दम से क़दम मिलाकर चल दिया धीरे-धीरे यह हुजूम संसद भवन की ओर बढ़ता गया, लेकिन कालीमाटी पुलिस स्टेशन के समीप हालात बिगड़े, पुलिस ने रोकने की कोशिश की, तो प्रदर्शनकारियों ने पत्थर उठाए और जवाब में पुलिस ने आंसू गैस के गोले छोड़े। स्थिति काबू से बाहर होते ही पुलिस ने ऊंची इमारतों की छत से गोलियां बरसानी शुरू कर दीं और तभी दानिश की बाईं बांह को आर-पार चीरती हुई गोली निकल गई।

खून से लथपथ दानिश को उसके साथी तत्काल अस्पताल ले गए, जहाँ डॉक्टरों ने बताया कि गोली हाथ को छूते हुए निकल गई है, वरना स्थिति और भयावह हो सकती थी। फिलहाल दानिश का इलाज अस्पताल में चल रहा है और वह धीरे-धीरे स्वस्थ हो रहा है। सबसे खास बात यह कि इतने दर्द और त्रासदी के बीच भी दानिश के चेहरे पर संतोष है,उसे हाल ही में नेपाल की प्रधानमंत्री बनी सुशीला कार्की से काफी उम्मीदे है।वह कहता है कि जिस बदलाव की चाहत लिए उसने सड़क पर कदम रखा था,उस नेपाल में सत्ता बदली है मुझे विश्वास है,कि सत्ता के साथ अब व्यवस्था भी बदलेगी।यह विश्वास मुझे की अपने घाव भूलने की ताकत देता है।

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(Udaipur Kiran) / आनंद कुमार

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