हरियाणा पुलिस की मांग पर हरियाणा राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण ने जारी किए निर्देश
चंडीगढ़, 15 नवंबर (Udaipur Kiran) । हरियाणा पुलिस ने साइबर ठगी के शिकार हुए लोगों को तत्काल और आसान न्याय सुनिश्चित करने के लिए कानूनी सेवा प्राधिकरणों के साथ मिलकर एक नई व्यवस्था लागू करवाई है, जिसके तहत ठगी की गई और बैंक खातों में ब्लॉक की गई राशि अब बिना किसी लंबी कानूनी प्रक्रिया या वकील की आवश्यकता के, सीधे लोक अदालत के माध्यम से पीड़ितों को वापस दिलाई जाएगी।
उक्त व्यवस्था विशेष रूप से उन मामलों के लिए लागू की गई है, जहां ठगी के तुरंत बाद शिकायत दर्ज कराकर ठगों के खाते में पैसा ब्लॉक करवा दिया गया है, लेकिन पुलिस द्वारा अभी तक एफआईआर दर्ज नहीं हुई है। हरियाणा पुलिस के महानिदेशक ओ.पी. सिंह ने कहा कि साइबर अपराधों में सबसे बड़ी समस्या यही सामने आती थी कि पीड़ित का पैसा ब्लॉक होने के बावजूद, उसे वापस पाने के लिए उसे कोर्ट-कचहरी के चक्कर काटने पड़ते थे।
हरियाणा पुलिस ने इस मानवीय पहलू को समझते हुए, सरकार और न्यायपालिका के समक्ष यह सरल और प्रभावी मॉडल पेश किया। अब हरियाणा में साइबर ठगी का शिकार हुआ कोई भी व्यक्ति अपने पैसे और हक को सिर्फ किस्मत समझकर नहीं छोड़ेगा। हमने मिलकर यह सुनिश्चित किया है कि पीड़ितों को जल्द से जल्द राहत और न्याय मिले। पुलिस ने राज्य सरकार और हरियाणा राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण से अनुरोध किया था कि साइबर अपराधों से संबंधित पैसे जारी करने/डी-फ्रीज’ करने के आवेदनों को स्थायी लोक अदालतों की सार्वजनिक उपयोगिता सेवाओं की सूची में शामिल किया जाए।
इस अनुरोध को स्वीकार करते हुए, हरियाणा सरकार के न्याय प्रशासन विभाग ने एक आधिकारिक अधिसूचना औपचारिक रूप से जारी की जिसने उन साइबर आवेदनों को स्थायी लोक अदालत के दायरे में ला दिया, जिनमें एफआईआर दर्ज नहीं हुई है। इस कदम से अब इन मामलों को ‘मुकदमे से पहले के मामले’ के रूप में देखा जाएगा, जिससे न्यायिक प्रक्रिया की गति कई गुना बढ़ जाएगी।
हरियाणा पुलिस ने डिस्ट्रिक्ट लीगल सर्विसेज अथॉरिटी के साथ मिलकर एक मानक संचालन प्रक्रिया (एसओपी) भी तैयार की है, जो पीड़ितों को बिना किसी परेशानी के पैसा वापस पाने में मदद करेगी। रिफंड की प्रक्रिया चार चरणों में पूरी होगी। इस चरण में पुलिस का जांच अधिकारी पीडि़त को आवश्यक दस्तावेज़ और बैंक रिपोर्ट तैयार करने में सहायता करेगा। आवेदन की जांच के बाद, लोक अदालत सुनवाई होगी, जिसके तहत आवेदन को लोक अदालत/स्थायी लोक अदालत में भेजेगी। लोक अदालत सभी पक्षों को सुनने के बाद, एक सप्ताह के भीतर सुलह की कार्यवाही पूरी करेगी और रिफंड का आदेश पारित करेगी। अंत में, रिफंड की प्रक्रिया होगी।
—————
(Udaipur Kiran) शर्मा