
डूंगरपुर, 6 जुलाई (Udaipur Kiran) । डूंगरपुर जिले में अब तक का सबसे बड़ा साइबर ठगी का मामला सामने आया है, जिसमें कॉलेज में पढ़ने वाले गरीब आदिवासी छात्रों को निशाना बनाकर करीब 1800 करोड़ रुपये की धोखाधड़ी की गई है। इस गंभीर मामले में जिले के लगभग 500 छात्रों और उनके परिवारों के नाम पर फर्जी बैंक खाते खोलकर बड़े पैमाने पर संदिग्ध लेन-देन किया गया।
छात्रों ने इस मामले में बांसवाड़ा-डूंगरपुर सांसद राजकुमार रोत को ज्ञापन सौंपा, जिसके बाद सांसद ने केंद्रीय वित्त मंत्री और राजस्थान के पुलिस महानिदेशक को पत्र लिखकर उच्चस्तरीय जांच और दोषी बैंक कर्मचारियों व साइबर अपराधियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की मांग की है।
सांसद राजकुमार रोत ने बताया कि डूंगरपुर जिले में इंडसइंड बैंक, एचडीएफसी बैंक, एक्सिस बैंक, बैंक ऑफ महाराष्ट्र सहित अन्य बैंकों के कर्मचारियों की संलिप्तता सामने आई है। बैंक कर्मियों ने कॉलेजों में जाकर छात्रों और उनके परिवारों को यह कहकर बहलाया कि उनके लिए पैन कार्ड, छात्रवृत्ति, शिक्षा ऋण और सरकारी योजनाओं के तहत सुविधाएं उपलब्ध कराई जाएंगी। इसी बहाने उनके दस्तावेज जैसे आधार कार्ड, फोटो और हस्ताक्षर लेकर फर्जी बैंक खाते खोले गए और फिर इन खातों का इस्तेमाल अवैध लेन-देन में किया गया।
जब छात्रों ने अपने खातों के एटीएम कार्ड मांगे तो बैंक कर्मचारियों ने तकनीकी कारणों का हवाला देते हुए टाल-मटोल शुरू कर दी। मामला तब उजागर हुआ जब कुछ छात्रों और उनके परिजनों को यह पता चला कि उनके नाम से करोड़ों रुपये का लेन-देन किया जा चुका है, जिसके वे न तो भागीदार थे और न ही जानकारी रखते थे।
इस पूरे घटनाक्रम में सबसे चिंताजनक बात यह है कि प्रशासन, पीड़ित छात्रों और उनके परिवारों की सहायता करने के बजाय, उन्हें ही पूछताछ और दबाव का शिकार बना रहा है। सांसद रोत ने स्पष्ट कहा कि ये सभी छात्र अत्यंत गरीब आदिवासी परिवारों से आते हैं और उनके साथ अन्याय हो रहा है। उन्होंने आरोप लगाया कि पुलिस प्रशासन असली अपराधियों की गिरफ्तारी के बजाय पीड़ितों को परेशान कर रहा है।
सांसद ने यह भी बताया कि यह घोटाला सिर्फ डूंगरपुर तक सीमित नहीं है, बल्कि बांसवाड़ा, प्रतापगढ़, उदयपुर और दक्षिण राजस्थान के अन्य जिलों में भी इसी तरह के मामले सामने आ रहे हैं। उन्होंने मांग की है कि इस पूरे नेटवर्क की सीबीआई या किसी अन्य स्वतंत्र एजेंसी से जांच कराई जाए, ताकि गरीब आदिवासी छात्रों को न्याय मिल सके और दोषियों को सख्त सजा दी जा सके। उन्होंने साथ ही यह भी आग्रह किया कि जिन छात्रों के नाम का दुरुपयोग कर यह ठगी की गई है, उन्हें किसी भी प्रकार की अवैध कानूनी कार्रवाई से बचाया जाए, क्योंकि वे स्वयं इस जालसाजी के शिकार हैं, न कि आरोपी।
(Udaipur Kiran) / संतोष
