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साइबर सेल ने ‘डिजिटल अरेस्ट’ ठगी गिरोह का किया भंडाफोड़, तीन आरोपित गिरफ्तार

‘डिजिटल अरेस्ट’ करने वाले तीन आरोपितों की फोटो

नई दिल्ली, 7 अक्टूबर (Udaipur Kiran News) । दिल्ली पुलिस की क्राइम ब्रांच की साइबर सेल यूनिट ने साइबर ठगी नेटवर्क का भंडाफोड़ करते हुए तीन आरोपिताें को गिरफ्तार किया है। यह गिरोह देशभर में फैले ऐसे अपराधियों के साथ मिलकर ‘डिजिटल अरेस्ट’ के नाम पर लोगों से करोड़ों रुपये ठग रहे थे। इस मामले में एक 80 वर्षीय सेवानिवृत्त सरकारी अधिकारी से 42.49 लाख की ठगी की गई थी।

क्राइम ब्रांच के पुलिस उपायुक्त आदित्य गाैतम ने मंगलवार काे बताया कि क्राइम ब्रांच की साइबर सेल की टीम गुप्त सूचना के आधार पर कार्रवाई करते हुए राजस्थान के पाली जिले से महेंद्र कुमार वैष्णव (37 ), विशाल कुमार (25) और श्याम दास (25) को गिरफ्तार किया। पुलिस ने बताया कि इन आरोपिताें ने अपने बैंक खाते साइबर ठगों को 10,000 प्रति खाता के बदले उपलब्ध कराए थे। ताकि ठगे गए पैसे इन खातों के जरिए ट्रांसफर किए जा सकें।

ऐसे फंसाया गया बुजुर्ग को

पुलिस जांच में खुलासा हुआ है कि यह गिरोह अपने शिकार को पहले व्हाट्सऐप कॉल करता था। कॉल पर व्यक्ति को बताया जाता कि वह प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) या सीबीआई की जांच के घेरे में है, क्योंकि उसके बैंक खाते से संदिग्ध लेनदेन हुए हैं। यही झांसा देकर उन्हें ‘डिजिटल अरेस्ट’ की कहानी सुनाई जाती और कहा जाता कि जब तक जांच पूरी नहीं होती, उन्हें पुलिस के निर्देशों के अनुसार काम करना होगा। इसी तरह 80 वर्षीय पीड़ित को भी झूठे आरोप लगाकर घंटों फोन पर रखा गया। डर और दबाव के माहौल में बुजुर्ग से बैंक विवरण, आधार नंबर और अन्य निजी जानकारी ली गई। इसके बाद उन्हें धीरे-धीरे अपने जीवनभर की बचत, कुल 42.49 लाख विभिन्न खातों में ट्रांसफर करने को मजबूर किया गया।

जांच में सामने आए कई खाते

मामले की जांच के दौरान पुलिस ने ठगी की रकम के प्रवाह का विश्लेषण किया और आठ ऐसे बैंक खातों की पहचान की जिनके माध्यम से पैसे आगे बढ़ाए गए थे। इनमें प्रमुख खाता आरोपित महेंद्र कुमार के नाम से था। जिसमें पहले चरण में पैसे जमा कराए जाते थे। बाद में रकम को कई परतों में विभाजित कर विभिन्न राज्यों में भेजा जाता था, जिससे पुलिस को ट्रैक करने में कठिनाई हो।

‘अकाउंट प्रोवाइडर’ निकले आरोपित

वहीं पुलिस पूछताछ में आरोपिताें ने खुलासा किया कि वे पेशेवर “अकाउंट प्रोवाइडर” के रूप में काम करते थे। वे अपने बैंक खाते, चेकबुक, एटीएम कार्ड, सिम कार्ड और इंटरनेट बैंकिंग की जानकारी गिरोह को सौंप देते थे। इसके बदले उन्हें हर खाते के लिए 10,000 का भुगतान मिलता था। पुलिस के मुताबिक ये खाते ठगी के पैसों को छिपाने और आगे ट्रांसफर करने में अहम भूमिका निभाते थे।

पुलिस ने ट्रेस की 8.49 लाख की राशि

अब तक की जांच में पुलिस ने 8.49 लाख की राशि विभिन्न खातों में ट्रेस की है। इन पैसों को फ्रीज कर लिया गया है। क्राइम ब्रांच के अधिकारी अब इस नेटवर्क के बाकी सदस्यों और मास्टरमाइंड तक पहुंचने के प्रयास में जुटे हैं।

साइबर सेल की अपील

पुलिस ने आम जनता से अपील की है कि कोई भी व्यक्ति अगर खुद को ईडी, सीबीआई या किसी सरकारी एजेंसी का अधिकारी बताकर फोन करे और पैसे ट्रांसफर करने या दस्तावेज साझा करने को कहे, तो तुरंत पुलिस या साइबर हेल्पलाइन 1930 पर संपर्क करें।

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(Udaipur Kiran) / कुमार अश्वनी

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