नयी दिल्ली, 23 जुलाई (Udaipur Kiran) । केन्द्र सरकार ने देश में साइबर अपराधों पर रोकथाम के लिए विशेष रूप से विकसित नागरिक वित्तीय साइबर धोखाधड़ी रिपोर्टिंग एवं प्रबंधन प्रणाली (सीएफसीएफआरएमएस ) के माध्यम से अब तक 17.82 लाख से अधिक शिकायतों के आधार पर लगभग साढ़े पांच हजार करोड़ रुपये की वित्तीय राशि को साइबर ठगी से बचाने में सफलता हासिल की है।
केंद्रीय गृह राज्य मंत्री बंदी संजय कुमार ने बुधवार को राज्यसभा में एक प्रश्न के लिखित उत्तर में बताया कि गृह मंत्रालय द्वारा स्थापित भारतीय साइबर अपराध समन्वय केंद्र’ (I4सी) देशभर में सभी प्रकार के साइबर अपराधों से निपटने के लिए एक केंद्रीकृत तंत्र के रूप में कार्य कर रहा है। इसके तहत ‘राष्ट्रीय साइबर अपराध रिपोर्टिंग पोर्टल’ शुरू किया गया है, जहां आम नागरिक ऑनलाइन साइबर अपराधों की शिकायत दर्ज करा सकते हैं। महिलाओं और बच्चों से संबंधित मामलों को प्राथमिकता दी जा रही है।
उन्होंने बताया कि वित्तीय धोखाधड़ी की त्वरित रिपोर्टिंग और धन की हेराफेरी रोकने के लिए हेल्पलाइन नंबर 1930 जारी किया गया है। साथ ही साइबर धोखाधड़ी शमन केंद्र (सीएफएमसी) भी कार्यरत है, जहां बैंकों, टेलीकॉम कंपनियों और राज्यों की एजेंसियों के प्रतिनिधि मिलकर रीयल-टाइम कार्रवाई करते हैं।
कुमार ने बताया कि सरकार ने अब तक 9.42 लाख से अधिक सिम कार्ड और दो लाख 63 हजार 348 मोबाइल आईएमईआई ब्लॉक नंबर ब्लॉक कर दिए हैं, जो धोखाधड़ी गतिविधियों में इस्तेमाल हो रहे थे।
उन्होंने बताया कि पुलिस और सार्वजनिक व्यवस्था संविधान की सातवीं अनुसूची के तहत राज्यों का विषय है, फिर भी केंद्र सरकार राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को वित्तीय सहायता, तकनीकी मदद और प्रशिक्षण के माध्यम से सहयोग कर रही है। अब तक 33 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में साइबर फोरेंसिक-सह-प्रशिक्षण प्रयोगशालाएं स्थापित की जा चुकी हैं। 24 हजार 600 से अधिक कानून प्रवर्तन अधिकारी, अभियोजक और न्यायिक अधिकारी प्रशिक्षण प्राप्त कर चुके हैं।
गृह राज्य मंत्री ने बताया कि नई दिल्ली स्थित राष्ट्रीय साइबर फोरेंसिक प्रयोगशाला द्वारा अब तक 12 हजार 460 मामलों की जांच में राज्यों को सहायता दी जा चुकी है। साथ ही, सीवाईसीटी साइक्ट्रेन पोर्टल के माध्यम से एक लाख से अधिक पुलिस अधिकारी पंजीकृत हो चुके हैं, और 82 हजार 704 से अधिक को प्रमाण-पत्र भी मिल चुके हैं।
उन्होंने बताया कि राज्यों के बीच समन्वय बढ़ाने के लिए एक विशेष एमआईएस प्लेटफ़ॉर्म और प्रतिबिंब नामक विश्लेषण मॉड्यूल शुरू किया गया है, जिससे अपराधियों की गतिविधियों की भू-स्थानिक निगरानी की जा सकती है। इसके जरिए 10 हजार 599 आरोपियों की गिरफ्तारी, 26 हजार 096 इंटरसेप्ट, और 63 हजार 019 साइबर जांच अनुरोध पूरे किए गए हैं। अब तक 17.82 लाख से अधिक शिकायतों के आधार पर 5,489 करोड़ रुपये से अधिक की वित्तीय राशि को साइबर ठगी से बचाने में सफलता हासिल की है।
कुमार ने बताया कि आईटी मध्यस्थों और वर्चुअल एसेट सेवा प्रदाताओं को नोटिस भेजने की प्रक्रिया तेज करने के लिए ‘सहयोग’ पोर्टल शुरू किया गया है। अब तक 72 आईटी मध्यस्थ और 35 वीएएसपी इसमें शामिल हो चुके हैं।
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(Udaipur Kiran) / सुशील कुमार
