
देहरादून, 15 जुलाई (Udaipur Kiran) । जैन मुनि आचार्य सौरभ सागर चातुर मास के प्रवास पर देहरादून गांधी रोड स्थित जैन धर्मशाला में स्थित है। उन्होंने विधि विधान पूर्वक 23वें तीर्थंकर भगवान पार्श्वनाथ की आराधना कर कार्यक्रम का प्रारंभ किया। इस विधान के पूर्ण अर्जक देवजैन और प्रिया जैन भिंड व मुदित जैन एवं शशि जैन सहस्रधारा थे।
भगवान पार्श्वनाथ के भक्ति आराधना के चौथे दिन 108पूज्य आचार्य श्री ने प्रवचन मे कहा कि प्रत्येक मानव को अपनी संस्कृति की रक्षा करने का अधिकार है परंतु हमारी संस्कृति तभी बचेगी जब हमारे तीर्थ बचेंगे इसलिए तीर्थ रक्षा बहुत महत्वपूर्ण है और यह हमारी आस्था का प्रतीक है गिरनार पर्वत प्राचीन काल से ही 22वे तीर्थंकर भगवान् नेमिनाथ की मोक्षस्थली के रूप में जाना जाता अत: उस पर किसी भी प्रकार के पूजा अथवा निर्माण लाडू चढ़ाने से वंचित रखना यह हमारे अधिकारों का हनन है इसलिए हमें इसकी रक्षा के लिए सतत प्रयास करना चाहिए।
गिरनार तीर्थ क्षेत्र की रक्षा एवं 2 जुलाई को भगवान् नेमिनाथ के निर्वांण कल्याणक पर्व पर गुजरात प्रशानन द्वारा जैन यात्रियों से अभद्र व्यवहार किया गया उसके विरोध प्रदर्शन मे आज भारतीय जैन मिलन द्वारा जिलाधिकारी महोदय के माध्यम से गुजरात सरकार को ज्ञापन दिया गया।
इस अवसर पर भारतीय जैन मिलन के मुख्य राष्ट्रीय कार्यकारी अध्यक्ष श्री नरेश चंद जैन जी द्वारा कहा गया कि भारत गणराज्य का संविधान सभी नागरिकों को उनके धर्म के पालन की स्वतंत्रता प्रदान करता है, इसमें किसी को भी रोकने का अधिकार नहीं देता है।
भारत सरकार के पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग (अरक) तथा गुजरात राज्य गजेटियर, दोनों ने स्पष्ट रूप से यह प्रमाणित किया है कि गिरनार की पंचम टोंक मूलत: जैन तीर्थ है। यह केवल धार्मिक या ऐतिहासिक अपमान नहीं, बल्कि न्यायिक व्यवस्था के मुंह पर तमाचा है। माननीय गुजरात उच्च न्यायालय ने 2005 में स्पष्ट आदेश दिया है कि पंचम टोंक पर कोई भी नया निर्माण न किया जाए। जैन समाज की मांग है कि अरक और राज्य सरकार गजेटियर के आदेश का पालन सुनिश्चित किया जाए और अवैध दत्तात्रेय की मूर्ति को हटाया जाए।गिरनार की पांचवीं टोंक को संरक्षित जैन राष्ट्रीय धरोहर घोषित किया जाए।
इस अवसर पर महामंत्री राजेश जैन, केंद्रीय महिला संयोजिका मधु जैन ने कहा कि हम अल्पसंख्यक जैन समाज आपसे आशा रखते हैं कि आप अवश्य ही जैन मतावलंबियों की धार्मिक भावनाओं का आदर करते हुए गिरनार पर्वत की पांचवीं टोंक पर जैनों को पूजा के अधिकार से वंचित नहीं रखेंगे।
(Udaipur Kiran) / राम प्रताप मिश्र
