
नूंह, 19 सितंबर (Udaipur Kiran) । जिले के गांव खानपुर घाटी में श्मशान भूमि पर काफी समय से अवैध कब्जा होने के कारण शुक्रवार को लोगों ने गांव के एक व्यक्ति का अंतिम संस्कार श्मशान की तरफ जाने वाले रास्ते पर ही कर दिया। जहां संस्कार किया गया वहां से थोड़ी दूरी पर स्कूल चल रहा था। इस मामले की सूचना पाकर पिनगवां थाना प्रभारी सुभाष चंद मौके पर पहुंचे, लेकिन तब तक अंतिम संस्कार की प्रक्रिया पूरी हो चुकी थी।
पिछले काफी समय से ग्रामीण श्मशान घाट के रास्ते पर अवैध कब्जे की शिकायत जिला प्रशासन से करते आ रहे है। पुलिस ने ग्रामीणों को चेतावनी देते हुए कहा कि आगे से इस तरह से रास्ते में अंतिम संस्कार ना करें। ऐसा किया तो कानूनी कार्रवाई की जाएगी। ग्रामीणों ने भी जिला प्रशासन को कब्जा खाली कराने के लिए 10 दिन का अल्टीमेटम दिया है।
गांव खानपुर घाटी निवासी अमर सिंह, कमल, दयाराम, यादराम, बलराम कुमार, सोहनलाल प्रजापति, महेश एडवोकेट ने बताया कि गांव में चकबंदी के समय पहाड़ के नजदीक करीब दो कनाल जमीन श्मशान भूमि के लिए दी गई थी। अरावली की पहाड़ियों मे श्मशान भूमि होना बताकर ग्रामीणों को गुमराह किया जाता रहा। जब तहसील कार्यालय के रिकॉर्ड में देखा तो कागजों में उनकी दो कनाल जमीन श्मशान घाट के लिए चकबंदी के दौरान मिली हुई थी। श्मशान घाट की भूमि पर अवैध कब्जा किया हुआ था। ग्रामीणों के मुताबिक श्मशान की कुछ भूमि को वीटा प्लांट द्वारा कब्जा लिया गया। बाकी बची भूमि से रास्ता मॉडल संस्कृति स्कूल के लिए निकाल दिया गया।
लोगों ने बताया कि कई बार उनके घरों में छोटे बच्चों की मृत्यु हो जाती है। जिन्हें दफनाया जाता है। लेकिन अरावली में पत्थर होने के चलते वहां से खुदाई नहीं हो पाती। जिससे उन्हें मजबूरी में अपने बच्चों का दाह संस्कार करना पड़ता है। उन्होंने कहा कि उन्हें पहले से ही गांव के कुछ लोगों ने यह कहकर गुमराह कर रखा है कि उनकी जमीन वहां से बिक चुकी है। उन्हें अब पता चला है कि उनकी जमीन तो है लेकिन उस पर कब्जा है। इस कब्जा को लेकर करीब 10 दिन पहले समाज के लोग डीसी अखिल पिलानी को लिखित में एक शिकायत देकर आए थे, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हुई। शुक्रवार को जहां मूल चंद नामक व्यक्ति का दाह संस्कार किया गया, वहां से चार कदम की दूरी पर स्कूल में बच्चे पढ़ाई कर रहे थे। बच्चे भी यह देख घबरा गए। किसी व्यक्ति ने इसकी सूचना पुलिस को दे दी। पुलिस के पहुंचने से पहले अंतिम संस्कार हो चुका था।
(Udaipur Kiran)
