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55 हजार की क्रेेडिट लिमिट, 2.35 लाख का बिल भेजा

jodhpur

जोधपुर, 18 अक्टूबर (Udaipur Kiran News) । जोधपुर के जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग (द्वितीय) ने एक्सिस बैंक के खिलाफ अहम फैसला सुनाते हुए क्रेडिट कार्ड धोखाधड़ी के मामले में ग्राहक के पक्ष में फैसला दिया है। कंज्यूमर कोर्ट के पीठासीन अधिकारी डॉ. यतीश कुमार शर्मा और सदस्य डॉ. अनुराधा व्यास की पीठ ने आदेश में कहा कि बैंक ने 55,000 रुपए की लिमिट से अधिक खर्च की अनुमति देकर स्वयं नियम तोड़े और बाद में उपभोक्ता को दोषी ठहराया।

दरअसल, चौपासनी हाउसिंग बोर्ड निवासी एक महिला ने एडवोकेट विजेंद्र पुरी के माध्यम से 18 जुलाई 2023 को एक्सिस बैंक के खिलाफ परिवाद दायर किया था। इसमें बताया गया कि अप्रैल 2022 में बैंक के प्रतिनिधि ने उससे संपर्क कर क्रेडिट कार्ड ऑफर किया और आकर्षक प्रस्ताव दिए। बैंक ने परिवादी को एक लाख रुपए की क्रेडिट लिमिट और सालाना शून्य चार्ज का आश्वासन दिया। जब परिवादी को क्रेडिट कार्ड मिला, तो उसकी क्रेडिट लिमिट केवल 55 हजार रुपए थी और जॉइनिंग/एन्युअल फीस 50 हजार रुपए थी।

जब परिवादी ने कस्टमर केयर से संपर्क किया, तो उन्हें बताया गया कि 50 हजार रुपए की फीस खाते से डेबिट होकर वापस क्रेडिट हो जाएगी और चिंता करने की आवश्यकता नहीं है। इस आश्वासन के बाद परिवादी ने कार्ड का उपयोग शुरू किया। परिवादी ने अप्रैल में 0 रुपए, मई में 37 हजार 605 रुपए, जून में 1 हजार 161 रुपए और जुलाई में 39 हजार 807 रुपए के बिल मिले, तो उन सभी का टाइम पर पेमेंट करती रही। इसके बाद अगस्त में बैंक ने 2 लाख 35 हजार 028 रुपए का बिल जारी कर भेज दिया, जिसे देखकर वो चौंक गई, क्योंकि हकीकत में तो उनके कार्ड की लिमिट ही सिर्फ 55 हजार रुपए थी।

स्टेटमेंट मांगा, लेकिन बैंक ने नहीं दिया

महिला परिवादी ने बैंक और कस्टमर केयर अधिकारियों से बार-बार संपर्क कर अगस्त के उस बिल राशि के संबंध में किए गए लेन-देन का स्टेटमेंट मांगा, लेकिन बैंक ने आज तक स्टेटमेंट नहीं दिया। इतना ही नहीं, उन्हें तो इसका भी संतुष्टिजनक जवाब नहीं दिया गया कि आखिर बिना क्रेडिट लिमिट इतना बिल कैसे आया? परिवादी का कहना था कि उन्होंने तो लगभग 15 से 20 हजार रुपए के ही ट्रांजेक्शन किए थे, तो उनका बिल इतना कैसे हो सकता है। बैंक ने हर महीने 30-35 हजार रुपये की विभिन्न पेनल्टी लगाकर बिल को 3 लाख रुपये से अधिक कर दिया।

बैंक को नोटिस भेजे, जवाब नहीं मिला

इस मामले में एक्सिस बैंक लिमिटेड को रजिस्टर्ड डाक से नोटिस भेजे गए। बैंक की ओर से 4 दिसंबर 2023 को अंडरटेकिंग दी गई, लेकिन उसके बाद न तो जवाब दिया गया और न ही बैंक की ओर से किसी ने भी सुनवाई में भाग लिया। आखिरकार, 23 सितंबर 2025 को बहस सुनी गई, जिसमें केवल परिवादी के अधिवक्ता विजेंद्र पुरी उपस्थित हुए। कोर्ट ने पत्रावली पर उपस्थित साक्ष्यों, प्रमाणों और दस्तावेजों का गहनता से विश्लेषण किया। इसमें कोर्ट ने पाया कि बैंक ने 1 लाख रुपये की क्रेडिट लिमिट देने की सूचना दी, लेकिन हकीकत में 55 हजार रुपए से अधिक क्रेडिट लिमिट उपलब्ध ही नहीं कराई गई। परिवादी ने समय-समय पर भुगतान किया, किंतु बैंक ने मनमाने ढंग से 2,35,028 रुपए का बिल थमा दिया। बैंक ने 50 हजार रुपये की जॉइनिंग फीस वसूल की, जो कार्ड की सीमा के लगभग बराबर है। कोर्ट ने कहा कि यह राशि बाद में लौटाई गई, किंतु अनुचित रूप से शुल्क वसूलना उपभोक्ता के साथ धोखाधड़ी है।

आयोग ने यह दिया फैसला

एक्सिस बैंक 2,35,028 रुपए की अवैध मांग को तत्काल शून्य घोषित करे और केवल वास्तविक खर्च (55 हजार रुपए की सीमा तक) का ही वैध क्रेडिट कार्ड बिल जारी करे। अनुचित रूप से वसूली गई 50 हजार रुपए जॉइनिंग फीस को अनुचित व्यापार व्यवहार घोषित किया गया और इसके लिए बैंक परिवादी को 10 हजार रुपए क्षतिपूर्ति अनुतोष राशि और 10 हजार रुपए परिवाद व्यय अदा करे।

(Udaipur Kiran) / सतीश

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