
कोलकाता, 16 अगस्त (Udaipur Kiran) । पश्चिम बंगाल में वर्ष 2026 में होने वाले विधानसभा चुनाव के लिए मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) कांग्रेस के साथ सीट बंटवारे के समझौते को लेकर उत्सुक है, लेकिन पार्टी का कहना है कि पहल कांग्रेस की ओर से होनी चाहिए। माकपा के प्रदेश सचिव और पोलित ब्यूरो सदस्य मोहम्मद सलीम ने साफ कहा है कि यह कांग्रेस पर निर्भर करेगा कि वह वाम मोर्चा के साथ चुनावी तालमेल जारी रखना चाहती है या नहीं।
माकपा की केंद्रीय समिति के एक सदस्य ने बताया कि जून 2025 में नदिया जिले की कालीगंज विधानसभा उपचुनाव में कांग्रेस ने वाम मोर्चे से समर्थन मांगा था और इसी कारण वाम मोर्चे ने वहां कोई उम्मीदवार नहीं उतारा। उन्होंने कहा, “कांग्रेस की राज्य इकाई के कई नेता लगातार संकेत दे रहे हैं कि वे 2021 के विधानसभा चुनाव, 2024 के लोकसभा चुनाव और 2025 के कालीगंज उपचुनाव की तरह समझौता जारी रखना चाहते हैं। अब उन्हें तय करना होगा कि वे 2026 में क्या करना चाहते हैं। हम कांग्रेस की ओर से फैसला नहीं ले सकते।”
हालांकि, पश्चिम बंगाल कांग्रेस ने अब तक इस विषय पर आधिकारिक रुख स्पष्ट नहीं किया है। राज्य कांग्रेस अध्यक्ष शुभंकर सरकार का कहना है कि किसी भी गठबंधन या सीट बंटवारे पर अंतिम निर्णय अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी (एआईसीसी) ही लेगी। उन्होंने कहा, इस मामले में एआईसीसी से कोई निर्देश नहीं आया है। वही जो निर्णय लेगी, वह अंतिम होगा।
दरअसल, माकपा का यह रुख उसकी 24वीं पार्टी कांग्रेस (अप्रैल 2025, मदुरै) के राजनीतिक प्रस्ताव के अनुरूप है। उस प्रस्ताव में आने वाले दिनों में स्वतंत्र राजनीतिक लाइन पर अधिक जोर देने की बात कही गई थी। इसलिए पश्चिम बंगाल की माकपा इकाई खुद से कांग्रेस के साथ सीट बंटवारे के लिए पहल नहीं कर सकती और चाहती है कि बातचीत की शुरुआत कांग्रेस करे।
गौरतलब है कि, कांग्रेस और वाम मोर्चे के बीच चुनावी समझौते की शुरुआत 2016 के विधानसभा चुनाव से हुई थी। हालांकि, 2019 के लोकसभा चुनाव में दोनों दलों के बीच कोई सीट बंटवारा नहीं हुआ था।———————–
(Udaipur Kiran) / ओम पराशर
