

अजमेर, 9 जुलाई (Udaipur Kiran) । स्मार्ट सिटी परियोजना के तहत निर्मित अजमेर एलिवेटेड रोड (रामसेतु) पर आवागमन को तत्काल प्रभाव से बंद करने का आदेश सिविल न्यायालय अजमेर ने जारी किया है। यह फैसला कांग्रेस नेता और पूर्व विधायक डॉ. राजकुमार जयपाल की याचिका पर दिया गया, जिसमें निर्माण की गुणवत्ता और तकनीकी खामियों पर सवाल उठाए गए थे।
न्यायाधीश मनमोहन चंदेल ने नगर निगम और स्मार्ट सिटी के अधिकारियों की अनुपस्थिति में एकतरफा आदेश जारी करते हुए 11 जुलाई तक एलिवेटेड रोड की सभी रास्तों को बंद करने के निर्देश दिए। इस आदेश के बाद नगर निगम अधिकारियों ने कोर्ट में अर्जी दायर कर सुनवाई का समय मांगा है।
एडवोकेट विवेक पाराशर ने बताया कि अदालत ने माना कि एलिवेटेड रोड के निर्माण में एक ही किस्म की निर्माण सामग्री का उपयोग किया गया है, जिससे उसकी सुरक्षा पर प्रश्न उठता है। डॉ. जयपाल का आरोप है कि यह रोड बिना पर्याप्त तकनीकी अनुमोदन और स्वीकृत नक्शे के बनी है तथा निर्माण सामग्री और प्रक्रिया में भारी भ्रष्टाचार हुआ।
राजनीतिक बयानबाजी तेज, कांग्रेस और भाजपा आमने-सामने
इस मामले के सामने आने के साथ ही अजमेर का राजनीतिक वातावरण गर्म हो गया है।
भाजपा के नगरीय विकास मंत्री झाबर सिंह खर्रा पहले ही इस रोड में हुई अनियमितताओं की जांच के लिए विशेष कमेटी बना चुके हैं।
वहीं कांग्रेस शासनकाल में स्मार्ट सिटी मैनेजमेंट कमेटी के सदस्य रहे डॉ. जयपाल द्वारा कोर्ट में पक्षकार बनने की अर्जी ने सियासत को और तूल दे दिया है। सूत्रों के अनुसार उनके पीछे कांग्रेस के वरिष्ठ नेता धर्मेन्द्र राठौड़ की भी भूमिका मानी जा रही है।
भाजपा समर्थक अधिवक्ता राजीव भारद्वाज ने आरोप लगाया कि जो लोग आज भ्रष्टाचार का मुद्दा उठा रहे हैं, वही कांग्रेस सरकार में उस रोड के निर्माण के दौरान मैनेजमेंट कमेटी के सदस्य थे। आज वे राजनीतिक फायदे के लिए जनता को भ्रमित कर रहे हैं और जांच को प्रभावित करना चाह रहे हैं। उन्होंने कहा कि भाजपा निर्माण में हुई गड़बड़ियों की जांच चाहती है, लेकिन कांग्रेस अपने शासन के दौरान हुए भ्रष्टाचार से बचने के लिए दिशा भटकाने की कोशिश कर रही है।
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(Udaipur Kiran) / संतोष
