

हरिद्वार, 1 अक्टूबर (Udaipur Kiran News) । सोमवार को हरिद्वार के जिला महिला अस्पताल में ब्रह्मपुरी निवासी एक गरीब गर्भवती के साथ हुए अमानवीय व्यवहार की गूंज देहरादून तक पहुंच गई है। राज्य महिला आयोग ने इस मामले का संज्ञान लेते हुए पूरे प्रकरण की जांच का आदेश दिया है। वहीं स्थानीय स्तर पर की गई जांच के बाद संविदा पर तैनात डॉक्टर की सेवाएं समाप्त कर दी गई हैं।
हरिद्वार के जिला महिला अस्पताल में एक मजदूर की गर्भवती पत्नी को भर्ती करने से मना करने के मामले का राज्य महिला आयोग की अध्यक्ष कुसुम कण्डवाल ने संज्ञान लिया है। जानकारी मिली है कि भर्ती के लिए मना करने के बाद प्रसूता ने वेटिंग रूम में फर्श पर ही तड़पते हुए बच्चे को जन्म दिया। बाद में डॉक्टर ने आशा वर्कर को ही फर्श साफ करने के लिए कहा।
मामले में परिजनों का आरोप है कि ड्यूटी पर तैनात डॉक्टर ने गर्भवती महिला की बात को अनसुना करते हुए कहा कि अभी डिलीवरी का समय नहीं है, और महिला को बेसहारा छोड़ दिया। अस्पताल स्टाफ ने भी मदद करने से इनकार कर दिया। तभी गर्भवती महिला ने अस्पताल के फर्श पर ही बच्चे को जन्म दे दिया। महिला प्रसूता को अपने साथ लेकर आईं आशा वर्कर को वीडियो बनाने पर उसका फोन छीनने की कोशिश भी की गई।
इस मामले में राज्य महिला आयोग की अध्यक्ष कुसुम कण्डवाल ने स्वतः संज्ञान लिया है। उन्होंने कहा कि यह बहुत चिंता का विषय है क्योंकि सरकार सभी सुविधाएं उपलब्ध करा रही है और यदि अस्पताल में तैनात चिकित्सकों या कर्मचारियों द्वारा किसी के भी साथ ऐसा व्यवहार किया जाता है तो उसके विरुद्ध कड़ी कार्रवाई की जाएगी।
कुसुम कंडवाल ने राज्य महिला आयोग की सदस्य को जांच के निर्देश देंने के साथ सीएमओ डॉ.आर के सिंह को भी जांच कराने के निर्देश दिए है। सीएमओ डॉक्टर आरके सिंह ने बताया कि विस्तृत जांच के लिए टीम गठित कर दी गई है, लेकिन फिलहाल संविदा पर तैनात डॉक्टर सोनाली की सेवाएं समाप्त कर दी गईं हैं।
(Udaipur Kiran) / डॉ.रजनीकांत शुक्ला
