
एसबीआई लाइफ इंश्योरेंस कंपनी को सात लाख रुपए का क्लेम देने का आदेश
जोधपुर, 25 सितम्बर (Udaipur Kiran News) । उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम 2019 के तहत एक महत्वपूर्ण फैसले में जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग (द्वितीय) ने एक बीमा कंपनी को सेवा में कमी का दोषी मानते हुए उपभोक्ता को बीमा क्लेम के रूप में सात लाख रुपये का भुगतान करने का आदेश दिया है। आयोग ने यह निर्णय स्वर्गीय मनोहर राम की पत्नी कमला देवी द्वारा दायर परिवाद पर सुनाया।
मामले के अनुसार मनोहर राम ने एक व्यक्तिगत ऋण लिया था, जिसके साथ बीमा सुविधा भी शामिल थी। इस पॉलिसी के तहत, यदि कर्जदार का निधन होता है, तो बकाया राशि का भुगतान बीमा कंपनी को करना था। मनोहर राम के आकस्मिक निधन के बाद, उनकी पत्नी कमला देवी ने बीमा कंपनी से क्लेम मांगा, लेकिन कंपनी ने इसे यह कहते हुए खारिज कर दिया कि बीमाधारक ने स्वास्थ्य संबंधी महत्वपूर्ण जानकारी छिपाई थी। कमला देवी ने बीमा कंपनी के इस कदम के खिलाफ जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग में परिवाद दायर किया। परिवाद में यह तर्क दिया गया कि बीमा कंपनी ने बिना किसी ठोस सबूत के क्लेम को खारिज किया, जो कि सेवा में कमी का स्पष्ट मामला है। परिवादिया की ओर से अधिवक्ता अक्षय नागोरी ने पक्ष रखते हुए एवं राष्ट्रीय उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग व उच्चतम न्यायालय के निर्णयों का हवाला देते हुए बताया कि यदि कंपनी स्वास्थ्य संबंधी तथ्य छिपाने का दावा करती है, तो उसे यह भी साबित करना होगा कि वही बीमारी मृत्यु का प्रत्यक्ष कारण बनी।
आयोग ने परिवाद के तथ्यों और साक्ष्यों का गहन अध्ययन करने के बाद पाया कि बीमा कंपनी ने केवल संदेह के आधार पर दावा खारिज किया, जो कि न्यायसंगत नहीं है। आयोग ने एसबीआई लाइफ इंश्योरेंस कंपनी लिमिटेड को न केवल सात लाख रुपये का बीमा क्लेम, बल्कि मानसिक पीड़ा के लिए दस हजार रुपये और वाद व्यय के लिए पांच हजार रुपये भी देने का आदेश दिया। साथ ही आयोग ने यह भी कहा कि यदि 30 दिनों के भीतर आदेश का पालन नहीं होता है, तो कंपनी को पूरी राशि पर नौ प्रतिशत वार्षिक ब्याज का भुगतान करना होगा।
(Udaipur Kiran) / सतीश
