धर्मशाला, 01 जुलाई (Udaipur Kiran) । धर्मशाला स्थित जिला उपभोक्ता आयोग की अदालत ने एक अहम फैसले में लैपटॉप कंपनी को सेवा में लापरवाही का दोषी ठहराते हुए उपभोक्ता को मुआवजा प्रदान करने का फैसला सुनाया है। इस फैसले के तहत संबंधित कंपनी को उपभोक्ता का लैपटॉप 30 दिन के भीतर मरम्मत करना होगा। अन्यथा कंपनी द्वारा उपभोक्ता द्वारा पूरे मरम्मत कार्य तक प्रतिदिन 50 रुपए का भुगतान करने के आदेश जारी किए गए हैं। इसके साथ ही उपभोक्ता को कंपनी द्वारा 10000 रुपए हर्जाना व 5000 रुपए मुकदमाबाजी के तौर पर लौटाने होंगे।
आयोग के अध्यक्ष हेमांशु मिश्रा, सदस्य आरती सूद व नारायण ठाकुर की अदालत ने यह फैसला सुनाया है।
इसके अलावा कंपनी द्वारा साइट विज़िट शुल्क 550 और सेवा शुल्क 850 रुपए से अधिक नहीं लिया जाएगा। हालांकि आवश्यक पार्ट की वास्तविक कीमत उपभोक्ता से ली जा सकती है। उपभोक्ता आयोग में दर्ज की गई शिकायत के तहत शिकायतकर्ता उपभोक्ता ने बताया है कि उन्होंने 30 मई 2022 को एक ऑनलाइन शाॅपिंग साइट के माध्यम से 45,800 रुपए का एक लैपटॉप खरीदा था। 16 फरवरी 2024 को लैपटॉप की बैटरी ने काम करना बंद कर दिया, जिसके बाद उन्होंने लैपटॉप कंपनी से इसकी मरम्मत के लिए संपर्क किया। इसको लेकर उपभोक्ता द्वारा मरम्मत से संबधित पंजीकरण करवाया गया, लेकिन सेवा केंद्र द्वारा बिना कोई मूल्य प्रस्ताव भेजे ही अनुरोध बंद कर दिया गया। बाद में उपभोक्ता द्वारा दोबारा नए सिरे से मरम्मत का पंजीकरण करवाया गया। जिसमें कंपनी की ओर से 1500 रुपए साइट विज़िट शुल्क मांगे गए। जो पहले 550 रुपए ही बताए गए थे।
उपभोक्ता ने बताया था कि उन्होंने साफ तौर पर 550 रुपए साइट विज़िट और 850 रुपए सेवा शुल्क के साथ आगे बढ़ने की सहमति दी थी, लेकिन कंपनी बार-बार भ्रमित करने वाली जानकारी देती रही। आयोग ने पाया कि सेवा केंद्र द्वारा झूठे तरीके से दूरी 50 किलोमीटर से अधिक बताकर तीन गुना अधिक शुल्क मांगा गया, जबकि वास्तविक दूरी 43.5 किलोमीटर थी।
आयोग ने माना कि उपभोक्ता को मानसिक प्रताड़ना, समय की बर्बादी और सेवा में लापरवाही का सामना करना पड़ा। जिसके चलते आयोग द्वारा उपभोक्ता के पक्ष में उपरोक्त फैसला सुनाया गया है।
(Udaipur Kiran) / सतिंदर धलारिया
