धर्मशाला, 16 जुलाई (Udaipur Kiran) । सॉफ्टवेयर और हार्डवेयर स्थापित करने के लिए एडवांस लेने के बाद इसे स्थापित न करने पर कंपनी को 8 लाख रुपये 6 फीसदी ब्याज सहित लौटाने होंगे। साथ ही 20 हजार रुपये मुआवजा और 10 हजार रुपये मुकद्दमा फीस भी देनी होगी। जिला उपभोक्ता आयोग के अध्यक्ष हेमांशु मिश्रा, सदस्य आरती सूद और नारायण ठाकुर की अदालत ने बुधवार को यह फैसला सुनाया है। आयोग के समक्ष नॉर्थ इंडिया डिस्टिलर्स एंड बॉटलर्स कंपनी की ओर से साहिब सिंह ने शिकायत दर्ज करवाई थी।
शिकायतकर्ता ने कहा था कि उनकी कंपनी हिमाचल एक पंजीकृत साझेदारी फर्म है, जो आबकारी नियमों के अनुसार शराब का निर्माण, विपणन और वितरण करती है। चार साझेदारों की ओर से आजीविका कमाने के लिए साझेदारी फर्म के रूप में संचालित होती है। हिमाचल सरकार ने सभी डिस्टिलर्स और बॉटलर्स के अपने उपयोग के लिए विनिर्माण में लगी सभी इकाइयों में ट्रैक एंड ट्रेस सिस्टम का उपयोग अनिवार्य कर दिया है। इसलिए उन्होंने स्वयं के उपयोग के लिए इस प्रणाली को स्थापित करने के लिए सुंदरम टेक्नोलॉजीज महाराष्ट्र कंपनी से संपर्क किया और 45,08,662 रुपये में इसे स्थापित करने के लिए सहमत हुए। कंपनी की ओर से एडवांस राशि के रूप में 8 लाख रुपये आरटीजीएस के माध्यम से 27 जून 2022 के माध्यम से जमा करवाई।
एडवांस राशि जमा करवाने के बाद महाराष्ट्र की कंपनी को 30 दिन के भीतर यह सिस्टम स्थापित करना था, लेकिन वह विफल रहे। इसके बाद शिकायतकर्ता की ओर से नवंबर 2022 में विपक्षी पक्ष से एडवांस राशि वापस करने का आग्रह किया, लेकिन उन्होंने मना कर दिया। उपभोक्ता आयोग के समक्ष पहुंची शिकायत पर सभी तथ्यों को जांचने के बाद शिकायतकर्ता के पक्ष में फैसला सुनाया गया।
(Udaipur Kiran) / सतिंदर धलारिया
