
उदयपुर, 27 नवंबर (Udaipur Kiran) । झारखंड में आदिवासियों के धर्मान्तरित होने के मुद्दे को लेकर राष्ट्रीय स्तर पर संघर्षरत आदिवासी सामाजिक कार्यकर्ता सनी टोप्पो उरांव और विकास उरांव गुरुवार को उदयपुर पहुंचे। दोनों कार्यकर्ताओं ने धर्मान्तरण के प्रयासों को “सुनियोजित अंतरराष्ट्रीय षड्यंत्र” बताते हुए राजस्थान की बीएपी पार्टी और इसके नेता राजकुमार रोत पर गंभीर आरोप लगाए।
सनी टोप्पो उरांव ने पत्रकार वार्ता में कहा कि झारखंड सहित देश के कई राज्यों में मिशनरियों और उनके एजेंटों द्वारा आदिवासी समाज को ईसाई बनाने का अभियान गहराई से चलाया जा रहा है। उन्होंने दावा किया कि इसी श्रेणी में बीएपी नेता राजकुमार रोत व उनके सहयोगी भी शामिल हैं, जो झारखंड जाकर स्थानीय आदिवासियों को “आदिवासी हिन्दू नहीं हैं” जैसे भ्रमित करने वाले तर्क देकर बरगला रहे हैं। उन्होंने कहा कि झारखंड के छुटभैया नेताओं को वागड़ क्षेत्र में बुलाकर यहां भी आदिवासियों के भीतर भ्रम फैलाने का प्रयास किया जा रहा है।
दोनों युवा कार्यकर्ता अगले पांच दिनों तक डूंगरपुर, बांसवाड़ा, सागवाड़ा सहित वागड़ के विभिन्न क्षेत्रों में रहकर आदिवासी युवाओं में जागरण का अभियान चलाएंगे। उन्होंने बताया कि जहां-जहां बीएपी नेताओं द्वारा भ्रामक जानकारी फैलाई जा रही है, वहां जाकर वे तथ्य और इतिहास के आधार पर आदिवासियों को जागरूक करेंगे।
सनी टोप्पो उरांव ने कहा कि आदिवासी समाज सदियों से हिन्दू संस्कृति से जुड़ा रहा है। उन्होंने भगवान बिरसा मुंडा के जनेऊ धारण किए हुए चित्र और झारखंड के मंदिरों के साक्ष्य पत्रकारों को दिखाते हुए कहा कि हमारे पुरखे देवी-देवताओं की पूजा करते आए हैं और आज भी कर रहे हैं। यह कहना कि आदिवासी हिन्दू नहीं हैं, एक सुनियोजित रणनीति का हिस्सा है।
उन्होंने यह भी कहा कि झारखंड में 26 प्रतिशत आदिवासी आबादी में से लगभग 14 प्रतिशत का धर्मान्तरण हो चुका है। आदिवासी स्वभाव से भोला होता है, उसे लालच देकर ईसाई बनाया जा रहा है। इसी तरह की कोशिश अब मेवाड़–वागड़ में हो रही है, जिसका हम खुला विरोध करेंगे।
सनी टोप्पो उरांव ने ‘डीलिस्टिंग आंदोलन’का भी समर्थन किया। उन्होंने कहा कि जो लोग आदिवासी धर्म छोड़कर अन्य धर्म अपना चुके हैं, उन्हें अब भी आदिवासी पात्रता के लाभ मिल रहे हैं— यह अन्याय बंद होना चाहिए। डीलिस्टिंग आंदोलन की शुरुआत झारखंड से हुई थी और इसे पूरे देश में लागू होना चाहिए।
उन्होंने बीएपी नेताओं की ओर इशारा करते हुए कहा कि झारखंड में जिन नेताओं को अपने क्षेत्र में 500 वोट तक नहीं मिले, उन्हें वागड़ बुलाकर यहां के भोले-भाले आदिवासियों को भ्रमित किया जा रहा है। झारखंड में जिनको किसी ने पूछा नहीं, वे अब मेवाड़–वागड़ में आकर आदिवासी समाज का ठेकेदार बनने चले हैं। हम यहां के युवाओं को सच्चाई बताएंगे और कोई भी खतरा उठाने को तैयार हैं। उन्होंने कहा कि वागड़ क्षेत्र में वे आदिवासी युवाओं की ऐसी फौज तैयार करेंगे जो धर्मान्तरण के खिलाफ सशक्त मुहिम चला सके। हमें अपने पुरखों की विरासत, अपने देवस्थानों और अपनी सांस्कृतिक पहचान को बचाना है।
—————
(Udaipur Kiran) / सुनीता