
बीकानेर, 16 सितंबर (Udaipur Kiran) । बीकानेर जिला कांग्रेस कमेटी शहर व देहात के संयुक्त प्रतिनिधि मंडल ने यशपाल गहलोत व बिशनाराम सियाग के नेतृत्व में संभागीय आयुक्त बीकानेर को ज्ञापन सौंपकर बीकानेर विकास प्राधिकरण द्धारा मास्टर विकास प्लान 2043 के विरूद्ध आपत्ति दर्ज करवाई है व इस प्लान में से गौचर, औऱण और पायतन की भूमियों के अधिग्रहण को निरस्त करने की मांग की।
प्रतिनिधिमंडल ने चेतावनी देते हुए कहा कि बीकानेर विकास प्राधिकरण द्धारा मास्टर विकास प्लान 2043 में संरक्षित ‘गौचर, पायतन व ओरण’ भूमि के अधिग्रहण को निरस्त किया जाए अन्यथा जिला कांग्रेस कमेटी विशाल आंदोलन व उग्र प्रदर्शन करने के लिए मजबूर होगी।
जिला संगठन महामंत्री प्रहलाद सिंह मार्शल ने बताया कि प्रतिनिधिमंडल में प्रदेश कांग्रेस के सदस्य साजिद सुलेमानी, यूथ कांग्रेस देहात अध्यक्ष भँवर कूकणा, शहर अध्यक्ष प्रदीप शर्मा,देहात महिला कांग्रेस अध्यक्ष शांति बेनीवाल, महासचिव आनन्द जोशी,राहुल जादूसंगत,मनोज किराडू,अनिल सारड़ा, दिलीप बांठिया, फरमान कोहरी, योगेश गहलोत,विजेन्द्र सिंह,लक्की खान,भवानी सिंह राजपुरोहित सहित अनेक पदाधिकारी मौजूद रहे।
ज्ञातव्य है कि बी.डी.ए द्वारा मास्टर विकास प्लान 2043 की सूचना एवं नक्शे प्रकाशित होने के बाद जिला कांग्रेस कमेटी के शहर व देहात अध्यक्षों ने अपनी प्रतिक्रिया देकर 28 अगस्त 2025 को जरिए मिडिया प्रशासन को अपनी आपत्ती दर्ज कराते हुए मास्टर विकास प्लान 2043 के अन्तर्गत अधिग्रहीत किये जाने वाली गोचर, पायतन व औरण भूमियो के अधिग्रहण पर पुनर्विचार करने का सुझाव दिया था, लेकिन प्रशासन की ओर से अभी तक कोई संज्ञान नहीं लिया गया।
इस अवसर पर शहर अध्यक्ष यशपाल गहलोत ने कहा कि बीकानेर विकास प्राधिकरण की ओर से जारी मास्टर डवलपमेंट प्लान-2043 के प्रारूप मे सम्मिलित शहर के आस पास शहर नथानिया, गंगाशहर, भीनासर, उदयरामसर सहित 188 गांवो की गोचर, पायतन व ओरण भूमि का अधिग्रहण करने का निर्णय आपत्ति जनक व अन्याय पूर्ण है। क्योंकि यह भूमि स्थानीय नागरिकों की आस्था और पर्यावरण संरक्षण का केन्द्र मानी जाती है। साथ ही सुप्रीम कोर्ट द्वारा भी राज्य में पारंपरिक रूप से संरक्षित ‘गौचर, पायतन व ओरण’ भूमि को वन भूमि का दर्जा देने संबंधी ऐतिहासिक निर्णय दिया था।
देहात अध्यक्ष बिशनाराम सियाग ने कहा कि गौचर,औऱण व पायतन की भूमियां लोगों की आस्था का केन्द्र होने के साथ ही चारागाह की जमीन गौ वंश, अन्य पशु पक्षियों का संरक्षण घर माना जाता है और पशु पक्षियों के इस घर को संरक्षित करने की बजाय बीडीए द्वारा इसे उजाड़ कर अन्य प्रयोजनों में भूउपयोग करना लोगों की जन भावनाओं पर सीधा प्रहार तो है ही पर्यावरण संरक्षण को भी खतरे में डालने का कृत्य है। जिला प्रमुख मोडाराम मेघवाल ने कहा कि गोचर भूमि केवल जमीन का अंश नहीं है बल्कि गौ माता व असंख्य जीव जन्तुओं का आश्रम स्थल व जीवन आधार है। इसके अलावा आमजन की आस्था भी जुडी हुई है।
प्रदेश महासचिव जियाउर्रहमान ने कहा कि गौचर भूमि अधिग्रहण से न केवल हरियाली पर्यावरण संतुलन पर संकट गहराएगा बल्कि हमारी सांस्कृतिक धरोहर व आमजन की भावना पर सीधा आघात होगा।
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(Udaipur Kiran) / राजीव
