
गांधीनगर, 8 अक्टूबर (Udaipur Kiran News) । भारत की वित्तीय अखंडता और आर्थिक संप्रभुता को मज़बूत करने के अपने निरंतर प्रयास में राष्ट्रीय रक्षा विश्वविद्यालय (आरआरयू) ने विश्व निवेशक जागरूकता सप्ताह २०२५ का उद्घाटन एक संवादात्मक सत्र के साथ किया, जिसमें एनएसई आईसीसी, एनएसई IX, एनएसई IL और अंतर्राष्ट्रीय वित्तीय सेवा केंद्र प्राधिकरण (आईएफएससीए) के प्रतिष्ठित प्रतिनिधि शामिल हुए।
संस्था के जन संपर्क विभाग ने बताया कि यह कार्यक्रम तेज़ी से डिजिटल होते वित्तीय पारिस्थितिकी तंत्र में निवेशक सुरक्षा पर ज्ञान के आदान-प्रदान, संवाद और जागरूकता के लिए एक गतिशील मंच के रूप में कार्य किया। इसने ज़िम्मेदार निवेश और सूचित निर्णय लेने को बढ़ावा देने में नियामक संस्थानों और शिक्षा जगत की महत्वपूर्ण भूमिका पर ज़ोर दिया। विशेषज्ञों ने वर्तमान निवेश रुझानों, नैतिक बाज़ार आचरण के महत्व और धोखाधड़ी वाली योजनाओं का पता लगाने और उन्हें रोकने के तंत्रों पर अपनी अंतर्दृष्टि साझा की।
कार्यक्रम की शुरुआत आरआरयू के कुलपति प्रो. (डॉ.) बिमल एन. पटेल के नेतृत्व में एक सम्मान समारोह के साथ हुई, जिसमें उन्होंने विशिष्ट अतिथियों नीरज कुलश्रेष्ठ, एमडी और सीईओ, एनएसई आईसीसी; प्रवीण कामत, सीआईएसओ, आईएफएससीए; और राजेश थापर, सीआईएसओ, एनएसई आईएल का हार्दिक स्वागत किया।
अपने संबोधन में प्रो. (डॉ.) पटेल ने भारत की वित्तीय और आर्थिक संप्रभुता की रक्षा के महत्व पर जोर दिया। उन्होंने वित्तीय और आर्थिक अपराधों, विशेष रूप से निवेश धोखाधड़ी के क्षेत्र में तेजी से विकसित होते परिदृश्य पर प्रकाश डाला। कुलपति ने विस्तार से बताया कि कैसे वैश्विक वित्तीय नीतियों या प्रतिबंधों में एक भी बदलाव किसी राष्ट्र की आर्थिक प्रगति को महत्वपूर्ण रूप से बदल सकता है। उन्होंने वित्तीय खुफिया जानकारी में आत्मनिर्भरता और सुरक्षित एवं पारदर्शी निवेश प्रणालियों की स्थापना की आवश्यकता पर भी ध्यान आकर्षित किया। डॉ. पटेल ने जटिल वित्तीय चुनौतियों का सामना करने के लिए युवा पेशेवरों को बहु-विषयक कौशल से लैस करने में विश्वविद्यालयों की महत्वपूर्ण भूमिका पर भी विचार किया। उन्होंने छात्रों से वित्तीय सुरक्षा को राष्ट्रीय सुरक्षा के मुद्दे के रूप में देखने का आग्रह किया, जिससे ज्ञान और नवाचार के माध्यम से राष्ट्र निर्माण के आरआरयू के मिशन को बल मिला।
उन्होंने शैक्षणिक नवाचार, अनुसंधान और सहयोगात्मक पहलों के माध्यम से वित्तीय और आर्थिक अपराधों को रोकने और उनका मुकाबला करने के लिए आरआरयू द्वारा उठाए गए सक्रिय कदमों को भी रेखांकित किया। वित्तीय और आर्थिक अपराधों में परास्नातक (एमएफईसी), निवेश मध्यस्थता बूटकैंप और वित्तीय अपराध रोकथाम में एआई पर विशेष कार्यशालाओं जैसे प्रमुख कार्यक्रम इस महत्वपूर्ण क्षेत्र में विशेषज्ञों को तैयार करने के लिए डिज़ाइन किए गए हैं। आरआरयू ने वीज़ा, एनएसई और आईएफएससीए जैसे संस्थानों के साथ साझेदारी को बढ़ावा देते हुए धोखाधड़ी विश्लेषण, अनुपालन और वित्तीय फोरेंसिक पर केंद्रित समर्पित अनुसंधान समूह भी शुरू किए हैं। ये पहल विकासशील भारत 2047 के राष्ट्रीय दृष्टिकोण के अनुरूप हैं, जिसका उद्देश्य एक पारदर्शी, सुरक्षित और लचीली आर्थिक प्रणाली सुनिश्चित करना है। उद्घाटन सत्र के बाद वक्ताओं द्वारा सत्रों के माध्यम से छात्रों और उद्योग जगत के नेताओं के बीच विचारों का आकर्षक आदान-प्रदान हुआ।
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(Udaipur Kiran) / Abhishek Barad
