नई दिल्ली, 21 अगस्त (Udaipur Kiran) । उच्चतम न्यायालय ने पश्चिम बंगाल में शिक्षकों की भर्ती के मामले में अहम फैसला दिया है। जस्टिस संजय कुमार की अध्यक्षता वाली बेंच ने उन शिक्षकों को भी भर्ती प्रक्रिया में रियायत दी है जो भर्ती से जुड़े गड़बड़ी में शामिल नहीं थे। उच्चतम न्यायालय ने इन शिक्षकों पर पश्चिम बंगाल स्कूल सेवा आयोग के नियमों के मुताबिक ग्रेजुएशन और पोस्ट ग्रेजुएशन में 50 फीसदी अंक की अनिवार्यता के बिना ही आवेदन करने की छूट दे दी है। इसके साथ ही उच्चतम न्यायालय ने इन शिक्षक अभ्यर्थियों को नियुक्ति के लिए नये सिरे से आवेदन करने की तिथि दस दिनों के लिए बढ़ाने का भी आदेश दिया।
याचिका बिबेक पारिया समेत 26 लोगों ने दायर की थी। याचिका में कलकत्ता उच्च न्यायालय के 16 जुलाई के उस आदेश को चुनौती दी गई थी जिसमें पश्चिम बंगाल स्कूल सेवा आयोग के नियमों के मुताबिक ग्रेजुएशन और पोस्ट ग्रेजुएशन में 50 फीसदी अंक की अनिवार्यता को बरकरार रखा था। अब सुप्रीम कोर्ट के आदेश से उन शिक्षक अभ्यर्थियों को लाभ मिलेगा जिन्हें ग्रेजुएशन और पोस्ट ग्रेजुएशन में 50 फीसदी से कम अंक मिले हैं।
ये मामला पश्चिम बंगाल में शिक्षक भर्ती घोटाला से जुड़ा हुआ है। पहले कलकत्ता उच्च न्यायालय ने करीब 25 हजार शिक्षकों और शिक्षकेत्तर कर्मचारियों की नियुक्त रद्द करने का आदेश दिया था। इस आदेश के खिलाफ पश्चिम बंगाल सरकार उच्चतम न्यायालय पहुंची थी। न्यायालय ने भी 3 अप्रैल को कलकत्ता उच्च न्यायालय के फैसले पर मुहर लगाई थी। बाद में 17 अप्रैल को उच्चतम न्यायालय ने पश्चिम बंगाल में 9वीं से 12वीं के बच्चों के हितों को देखते हुए उन शिक्षकों को रियायत दी थी जो भर्ती से जुड़े गड़बड़ी में शामिल नहीं थे। यह रियायत इसी अकादमिक सत्र के लिए मिली है।
उच्चतम न्यायालय ने राज्य सरकार को निर्देश दिया था कि सरकार नियुक्ति की प्रक्रिया 31 दिसंबर तक पूरी होनी चाहिए।
(Udaipur Kiran) /संजय
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(Udaipur Kiran) / प्रभात मिश्रा
