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तीनों सेनाओं के हथियार खरीदने के लिए बनी डीएपी की समीक्षा करेगी समिति

रक्षा मंत्रालय

– पूर्व आईएएस अपूर्व चंद्रा को समिति का प्रधान सलाहकार नियुक्त किया गया

​नई दिल्ली, 19 जून (Udaipur Kiran) । केंद्र सरकार ने तीनों सेनाओं के हथियार खरीदने के लिए बनी रक्षा अधिग्रहण प्रक्रिया (डीएपी) की व्यापक समीक्षा ​शुरू की है, जिसके लिए महानिदेशक (अधिग्रहण) की अध्यक्षता में एक समिति गठित की गई है।​ समिति में रक्षा मंत्रालय के वरिष्ठ ​अधिकारियों, रक्षा उद्योग और शिक्षा जगत के प्रतिनिधि​यों को शामिल ​किया गया है। पूर्व आईएएस अपूर्व चंद्रा (1980 बैच) को समिति का प्रधान सलाहकार नियुक्त किया है।​ पैनल ने पहले ही परामर्श शुरू कर दिया है और 05 जुलाई तक सुझाव ​मांगे हैं।

​दरअसल, रक्षा मंत्रालय ने वर्ष 2025 को ‘सुधारों का वर्ष’ घोषित किया है, जिसके तहत तीनों सेनाओं के लिए हथियारों की खरीद प्रक्रिया के गठित रक्षा अधिग्रहण प्रक्रिया (डीएपी) की व्यापक समीक्षा ​शुरू की गई है। समीक्षा का उद्देश्य इसे सरकार की मौजूदा नीतियों और पहलों के साथ जोड़ना है। सभी हितधारकों के साथ व्यापक विचार-विमर्श करने के लिए गठित कमेटी के नियुक्त प्रधान सलाहकार 1980 बैच​ के पूर्व आईएएस​ अधिकारी​ पहले महानिदेशक (अधिग्रहण) के पद पर कार्य कर चुके हैं। पैनल ने पहले ही परामर्श शुरू कर दिया है और 05 जुलाई तक हितधारकों से secy-dap2025​@gov​.dot​.in पर सुझाव ​मांगे हैं। ​

रक्षा मंत्रालय के अनुसार डीएपी समीक्षा का उद्देश्य राष्ट्रीय सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए सशस्त्र बलों की परिचालन आवश्यकताओं और आधुनिकीकरण को समय पर पूरा करना​ है, ताकि अधिग्रहण प्रक्रिया सरकार की नीतियों और पहलों के साथ तालमेल ​बिठा सकें। स्वदेशी रूप से डिजाइन और विकसित प्रणालियों के माध्यम से प्रौद्योगिकी के उपयोग को बढ़ावा देकर आत्मनिर्भरता ला​ने पर जोर दिया जाना है।​ ​समीक्षा के दौरान ‘मेक इन इंडिया’ को सक्षम बना​ने, एफडीआई के माध्यम से विदेशी ओईएम को प्रोत्साहित कर​ने और भारत को वैश्विक रक्षा विनिर्माण और एमआरओ केंद्र के रूप में स्थापित कर​ने पर फोकस किया जाना है।

मांगे ​गए सुझावों में सार्वजनिक और निजी दोनों क्षेत्रों में डिजाइन और विकास को बढ़ावा देना, स्वदेशी प्रौद्योगिकी के समावेश के लिए स्टार्टअप, इनोवेटर्स और निजी रक्षा उद्योग पर ध्यान केंद्रित करना​ शामिल है।​ समीक्षा का मकसद अधिग्रहण प्रक्रियाओं को कारगर बनाने के लिए नीति​यों में बदलाव, इसमें वर्गीकरण, व्यापार करने में आसानी, परीक्षणों का संचालन, अनुबंध के बाद प्रबंधन, फास्ट ट्रैक प्रक्रियाएं और एआई जैसी नई प्रौद्योगिकियों को अपनाना शामिल है।​ साथ ही डीएपी में अस्पष्टता एवं विसंगतियों को दूर करने और प्रक्रियात्मक स्पष्टता बढ़ाने के लिए भाषा में सुधार​ किया जाना है।————-

(Udaipur Kiran) / सुनीत निगम

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