
वाराणसी,08 सितम्बर (Udaipur Kiran) । जिले के दशाश्वमेध देवनाथ पुरा स्थित नवसंघ काली प्रतिमा विसर्जन के दौरान एक संप्रदाय विशेष से मारपीट, भवन में तोड़फोड़ व शहर में दंगा फैलाने की साजिश रचने के मामले में नवसंघ समिति के महामंत्री को न्यायालय से राहत मिल गई। सोमवार को अपर सिविल जज (सी.डी. तृतीय)/ एसीजेएम अजय प्रताप की अदालत ने पांडेय हवेली, दशाश्वमेध निवासी आरोपी अजय जायसवाल को 25-25 हजार रुपए की दो जमानतें एवं बांधपत्र देने पर रिहा करने का आदेश दिया। अदालत में बचाव पक्ष की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता अनुज यादव, नरेश यादव, चंद्रबली पटेल व संदीप यादव ने पक्ष रखा।
प्रकरण के अनुसार तत्कालीन दशाश्वमेध थाना प्रभारी बालकृष्ण शुक्ला ने थाने में प्राथमिकी दर्ज कराई थी। आरोप था कि नवसंघ सांस्कृतिक समिति देवनाथपुरा के अध्यक्ष असित कुमार दास व समिति के 3 अन्य सदस्य मिलकर परम्परा के अनुसार काली प्रतिमा स्थापित करते हैं। समिति के असित कुमार दास ने मूर्ति की लम्बाई एवं चौड़ाई बढ़ाकर अपने तरीके से मूर्ति बनवाई। जिसके कारण 10 नवम्बर 2018 को मूर्ति विसर्जन में ले जाते समय समस्या उत्पन्न हो गयी। गली के रास्ते से मूर्ति नहीं निकल पा रही थी। जिससे मूर्ति क्षत-विक्षत हो गयी। जिस पर गली में स्थित अब्दुलवारी के मकान के चबूतरे को असित कुमार दास तथा इनके साथियों ने मूर्ति निकालने के लिए बिना उससे पूछे तोड़ फोड़ कर क्षतिग्रस्त कर दिया। जब उसने विरोध किया तो असित कुमार दास एवं उनके 3 अन्य साथी भद्दी-भद्दी गाली दिए तथा धमकी देते हुए घर के सामने से चले गये। जिससे उसका पूरा परिवार डरा एवं सहमा है।
पूजा के आयोजक असित कुमार दास ने मूर्ति बड़ी बनाने की सूचना भी थाने पर नहीं दिया था। असित कुमार दास एवं उनके तीन अन्य साथियों ने मदनपुरा मुहल्ले के मुस्लिम बाहुल्य क्षेत्र में दंगा भड़काने की नीयत से तथा मुस्लिम लोगों की धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाने की आशय से अपशब्दों का बार-बार प्रयोग करते रहे। इनके इस कृत्य ने जिला पुलिस प्रशासन को असहज में डाल दिया। तथा इससे शान्ति भंग का खतरा भी उत्पन्न हो गया था। मूर्ति विसर्जन में इनके कृत्य से 7 घन्टे अतिरिक्त पुलिस एवं प्रशासनिक अधिकारियों को कार्य करना पड़ा। साथ ही इन लोगों द्वारा सरकारी कार्य में बाधा डाला गया। इस मामले में पुलिस ने असित कुमार दास, उनके भाई अभिजीत दास, अजय जायसवाल व अरूप भट्टाचार्य के खिलाफ मुकदमा दर्ज कर आरोप पत्र न्यायालय में प्रेषित कर दिया। जिसके बाद अजय जायसवाल ने अपने अधिवक्ताओं के जरिए कोर्ट में समर्पण कर जमानत के लिए अर्जी दी थी।
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(Udaipur Kiran) / श्रीधर त्रिपाठी
