
बलरामपुर, 25 अक्टूबर (Udaipur Kiran) । छत्तीसगढ़-झारखंड की सीमा पर बसा रामानुजगंज इस साल भी छठ महापर्व की भव्य झलकियों से रोशन हो गया है। सूर्य की उपासना और भिक्षाटन की अनूठी परंपरा ने हजारों श्रद्धालुओं को आकर्षित किया है। यह पर्व न केवल आस्था का प्रतीक है, बल्कि समुदाय की सामूहिक एकता, सहयोग और विनम्रता का उत्सव भी बन चुका है।
रामानुजगंज क्षेत्र में छठ व्रत को आध्यात्मिक समर्पण और आत्मशुद्धि का प्रतीक माना जाता है। मान्यता है कि जो व्यक्ति अपनी मन्नत पूरी होने पर ‘भिक्षाटन छठ’ करता है, वह अहंकार और भेदभाव से मुक्त होता है। इस परंपरा के तहत व्रती घर-घर जाकर भिक्षा मांगते हैं और वही अन्न छठी मैया को अर्पित करते हैं।
इस साल भी हजारों व्रती भिक्षाटन में शामिल हैं, और हजारों अन्य लोग उन्हें सहयोग दे रहे हैं। स्थानीय बुजुर्गों का कहना है कि यह पर्व केवल धार्मिक अनुष्ठान नहीं, बल्कि समाज में समानता और सहयोग का संदेश भी फैलाता है।
सुविधा और सुरक्षा की तैयारियां
रामानुजगंज नगर पालिका ने कन्हर नदी पर अस्थायी पुल का निर्माण कर श्रद्धालुओं के लिए घाट तक आसान पहुंच सुनिश्चित की है। राम मंदिर घाट और शिव मंदिर घाट इस बार भी मुख्य आकर्षण हैं, जहां सूर्य भगवान की भव्य मूर्तियां सात घोड़ों पर स्थापित की जा रही हैं।
नगर पालिका अध्यक्ष रमन अग्रवाल ने बताया कि सभी घाटों पर स्वच्छता और सुरक्षा का विशेष इंतजाम किया गया है। शाम और सुबह गंगा आरती का भव्य आयोजन भी किया जाएगा। तैयारियों में नगर के सभी छठ पूजन समितियां जुटी हुई हैं, ताकि श्रद्धालु बिना किसी असुविधा के पर्व का आनंद ले सकें।
उल्लेखनीय है कि, रामानुजगंज का छठ पर्व अब केवल धार्मिक उत्सव नहीं, बल्कि सामाजिक और सांस्कृतिक पहचान का प्रतीक बन चुका है। भिक्षाटन परंपरा और सूर्य उपासना का यह अनोखा संगम न केवल छत्तीसगढ़, बल्कि पूरे सरगुजा क्षेत्र में इसे विशेष महत्व देता है। इस बार दूसरे राज्यों से भी बड़ी संख्या में श्रद्धालु शामिल हो रहे हैं, जो पर्व की भव्यता और समृद्धि को और बढ़ा रहे हैं।
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(Udaipur Kiran) / विष्णु पांडेय